Sunday, December 26, 2021

रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी

 

तूफ़ान आने पे वो कश्ती ना डूबेगी तो क्या होगा

तूफान आने से पहले दरकिनार जिसने किया माझी

 

अंधेरो से लड़ाई मोल लूँ तो किस भरोसे पे

महफ़िल में एक शमा थी वो भी तो ले गया साकी


कहाँ से रौशनी लाऊं   दिया कैसे रखूं जलता

न अब तो तेल बचा न ही बाती बची बाकी


जमाने भर के शिकवे या गिले क्यों मुझ से करता है

कभी तो अपने दिल में झांक कर भी  देखा कर साथी


दुआ दे या दवा दे फर्क कुछ पड़ने नहीं वाला

रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी

Tuesday, December 21, 2021

मै तो माफ कर दूँ गलती कुदरत कभी करती नही ,

लंगड़े घोड़े की सवारी  और जान की बाज़ी लगी

हिम्मत तो जरा देखिये  मरियल से घुड़सवार की 


आसमां छूने की जिद्द है उस  परिंदे की अज़ब

जिसने पिंज़रे  की कभी देहलीज़ तक नही पार की 


रहना एक पिंज़रे में बन्द और आसमां तक की उड़ान 

ख्वाब बेमतलब का है  ये बातें है बेकार की 


खुद तो है दर दर भटकता  कोई सहारा ढूंढ़ता

दवा करता है कईयों की जिन्दगी संवार दी 


ना दुआ की ना दवा दी ना ज़ख्मों पर मरहम  लगा 

कद्र क्या करनी  बता  ऐसे तीमारदार की 


वक्त रहते ही संभल जाता तो कोई बात थी 

चोट खाई बेवज़ह तूने कुदरत की मार की 


मै तो माफ कर  दूँ गलती  कुदरत कभी करती नही ,

अहसानफरामोश की , खुदगर्ज़ की    गद्दार की 


थोड़ा किनारा क्या दिखा कश्ती से कूद मार दी 

सोचा  ज़रूरत क्या रही  नाविक कि या पतवार की 


 किनारे के पास  आके भी  डूबती है कश्तियाँ 

ये बात भूलने  की गलती  क्यों तुमने  बार बार की 












 

 


नया उसूल अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से

अकेला हूँ ज़रूरत है तेरी पर ये ना सोचना 

मेरी मज़बूरियों का यूँ कोई फायदा उठाएगा 

नया उसूल  अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से 

जो हमको याद रखेगा वो हमको याद आएगा 

नाहिंन चाहिए है फ़ोनों फ्रेंड ना बातों की ही हमदर्दी

करेगा जितना जो सहयोग वो हमसे उतना gaपायेगा 

गए वो दिन एक तरफा प्यार में पागल से फिरते थे 

करेगा प्यार जो हमको अब वो ही प्यार पायेगा

यकीन मानो ज़मीं उप्जाऊ है बंजर नहीं यारा

जरा तू बीज बो,, फिर देख फसल तूं कितनी पायेगा 


हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में भरा हर लेनदेन व्यापार है

ना किसी को भी अपना समझ ना किसीसे भी कह प्यार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


यहाँ दोस्त बनकर दोस्ती में दोस्त देते हैं दगा 

रिश्तों में रिश्तेदारों ने,  है रिश्तेदारों को ठगा

जब तक है दिखता फायदा तब तक ही रिश्तेदार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


तेरा इस्तेमाल है जब तलक तेरी कद्र रहनी है तब तलक

जब तक कुछ पढने को  बाकी है तब तक ही तो अखबार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


पहले तो लूटकर मुझे   बर्बाद कर दिया आपने 

 खैरात अब कोई देके आप   बन रहे  दिलदार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


 




जिसे कहतें है सब शादी, है बर्बादी का कदम पहला

खामोशी को ना जो समझा जुबां को भी ना समझेगा 

फिर कह सुन कर क्यों  शर्मिन्दा  हुआ जाए किया जाए 

दुआ कर कर के मुझको   दुश्मनों  ने ज़िंदा रखा है 

मेरे अपने तो चाहते हैं कि कल का आज मर जाए  

परिंदों  पर पाबंदी है खुले में  दाना चुगने की 

परिंदा पेट भरने को सिवा पिंजरे कहाँ जाए 

फंसा एक बार पिंजरे में निकलना फिर नहीं मुमकिन 

परिंदा लाख पर मारे परिंदा लाख छटपटाये  

जिसे कहतें है सब शादी, है बर्बादी का कदम पहला 

निकल सकता नही बचके जो भी एक बार फँस जाए 

जो फायदा नीम का चाहिए चटोरी जीभ से कह दो 

बिना शिकवा गिले चुपचाप कडवापण सहा जाए  



नशा तो है नशा क्या अच्छा क्या खराब है

 अपने हर एक गुनाह पर परदे हजार डाल कर 

हर शक्स कह रहा है जमाना खराब है

अच्छा है कुछ सवालों  को सवाल रहने  दे  

वैसे भी हर सवाल का मिलता  कहाँ   जवाब है 

दिल जोड़ने की बात कभी तो किया भी कर 

हर वक्त ही दिल तोड़ने को क्यों बेताब है 

मुसीबतों का सिलसिला यूँ ही नहीं चला 

लड़की  है  बदनसीब ,गरीबी में शबाब है 

वो डरी डरी या बुझी बुझी रहती है आज कल 

उसे लोग  कहने लग   गए   " तू लाजवाब है " 

सता का दौलत का हो या शोहरात का हो नशा 

नशा तो है नशा क्या अच्छा क्या खराब है 


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हम चले जायेंगे और कहानियां रह जायेंगी

हम चले जायेंगे और कहानियां रह जायेंगी 

अपने पीछे कदमो की निशानियाँ रह जायेंगी

दे दवा मरीज़ को  या जखमों पर मरहम लगा 

उसके दिल में तेरी  यही मेहरबानियाँ रह जायेगी

बचपन को बचपन जैसा जी जवानी जवानी की तरह 

वरना बुढापे में सिर्फ पशेमानियाँ रह जायेंगी 

बनते थे होशियार और नादानियां करते रहे 

हर मोड़ पे मेरी सिर्फ नाकामियाँ रह जायींगी

साड़ी उम्र परेशानियों का हल ही ढूंढते रहे

पर  हम ख़तम हो जायेंगे   परेशानियां रह जायेंगी

गलतफहमियों में सारी जिन्दगी ही काट दी 

अब तो अपने सर सिर्फ बदनामियाँ रह जायेंगी   

Friday, June 4, 2021

भाग्य दुर्भाग्य या संयोग

                    पूर्व रचित या पूर्व लिखित या पूर्व निश्चित भाग्य नही होता  इसे ज्यादातर वो लोग मानते है जो या तो अपने द्वारा किये गए कामों की जिम्मेवारी नहीं लेना चाहते या फिर कारण और परिणाम ( Cause and  Effect)  सम्बन्ध ठीक से नहीं समझ पाते.!

                     हमारे जीवन में दिन रात कई  प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं ! इनमे से बहुत सी घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नही होता या काफी नियत्रण  नही होता ! हम प्रकृति का अंशमात्र हैं और इसलिए उस पर हमारा नियंत्रण भी उससे अधिक नहीं हो सकता परन्तु ऐसा नही कि ये घटनाएं  बिना किसी cause and effect के होती है प्रकृति में भी कुछ भी बिना कारण  नही होता ! किसी भी काम के नतीजे  के पीछे बहुत सारे Factors काम कर रहे होते है किसी एक Factor पर निर्भर नहीं होता !  हमारी समझ आ गया तो विज्ञान, नही आया तो भाग्य या दुर्भाग्य ! कुछ लोग इसे ही भगवान् का प्रसाद या भगवान् की इच्छा मान लेते है ! Factors ढूंढो Factors ! फैक्टर्स बदलोगे तो Product स्वयं ही बदलेगा!   

                        इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि  हमें उन घटनाओं  का परिणाम भी भुगतना पड़ता है जो हमारे द्वारा  इच्छानुसार या योग्यता अनुसार किये गए कामों के परिणाम स्वरुप नही होती ! ये  भी सत्य है कि कुछ लोगो के साथ अच्छा ही अच्छा और कुछ के साथ बुरा ही बुरा होता है y !होती तो ये भी किसी न किसी कारण से ही है परन्तु इंसान की बुद्धि सीमित  है और इसे पूर्ण रूप से  समझने में नाकाफी साबित होती है ! अधिक से अधिक आप इसे संयोग का नाम दे सकते हैं! पूर्व रचित या पूर्व लिखित भाग्य तो कदापि नहीं !

                         हमारे जीवन में  संयोग अक्सर होते रहते हैं कुछ सुखद और कुछ दुखद परन्तु सुखद का सेहरा हम अपने सर बांधते है और दुखद को अपना भाग्य  मान कर संतोष कर लेते है ! वास्तव में मनुष्य योनी कर्म योनी के साथ साथ भोग योनी भी है उसे अपने कर्मों का फल स्वयं तो भोगना ही  है उसके कर्मो का फल उस कर्म फल की सीमा में आने वाले  अन्य व्यक्तियों को भी भोगना पड़ता है इसी प्रकार दूसरों के कर्मफल की सीमा में जिस हद तक वो स्वयं आता है उसे भी भोगना पड़ता है ! उसके हित हुआ तो भाग्याश्हाली उसके अहित में हुआ तो भाग्यहीन! अर्थात भाग्य या दुर्भाग्य का फैंसला काम का फल मिलने के बाद निश्चित होता है न कि पहले! तो कहाँ हुआ पूर्व रचित भाग्य ! 

                          भगवान् द्वारा अगर सब कुछ पहले से ही निश्चित हो तो फिर इंसान अपने या दूसरों के कर्मो का फल कैसे भोगेगा फिर तो प्रकृति  में सब कुछ पहले से ही निश्चित हो गया तो नियम कहाँ रहे और प्रकृति  तो अपने  नियमो से ही चल रही है प्रकृति में सब कुछ cause and effect के रिलेशन से चल रहा आप cause के घटक बदलिए फिर देखिये effect अपने आप बदलेगा ! भगवान को या प्रकृति को दोष देना !उचित नहीं है !न ही अपने भाग्य या दुर्भाग्य को कोसने की ज़रूरत है  !

                          Effect अच्छा चाहिए तो घटक अच्छे  बदलो और फिर कमाल देखो !बबूल के पेड़ पर कांटे ही तो लगेगे आम तो आने से रहे आम चाहिए तो आम बोवो ना भाई ! पूजा पाठ  जंतर मन्त्र जादू टोना कर    के क्या होगा ! ज्योतिषी को अपना भविष्य तो पता नहीं तेरा क्या बतायेगा ! जब कुछ पूर्व रचित या पूर्व लिखित  भाग्य है ही नहीं तो वो बेचारा क्या भविष्य  बतायेगा! हाँ तुम्हे बेवकूफ बनाकर पैसे ज़रूर ठग लेगा.

                          अपनी कमियों का दोष भगवान् पर या प्रकृति के सिरपर मत डालो अपनी गलती को सुधारों. गलती समझने  और सुधारने में कभी देर नहीं होती ! जब जागो तभी सवेरा 

                          

                           अपने कर्मों का होश नही और पत्थर  पूजते फिरते हो 

                           कभी मंदिर माथा रगड़ते हो कभी बाबा के पाँव जा पड़ते हो 

न  तो है कोई पिछला जन्म न  ही होना है अगला जन्म                           

ये सारे  तौर तरीके  है तुम्हे  बेवकूफ बनाने के                    


                                 ये जन्म अपना बर्बाद ना कर  उलटी सीधी भक्ति ना कर 

                                  नहीं  तुम्हे रब मिलना  है यूँ उलटे रस्ते जाने से  

  कभी बैठ अकेले सोचा करो कि खुद से गलती कहाँ हुई 

   क्या हासिल होना है यारा सच से मुहं छुपाने से   

Thursday, June 3, 2021

बेवफा जिंदगी

 मौत को जालिम ना कह, है जिन्दगी ही बेवफा

जान पहले जाती है, तब मौत आती है सदा


मौत आ सकती नहीं गर जाँ ना जाये जिस्म से
जाँ ने साथ छोड़ा तो बाहों मे मौत ने लिया
धीरे धीरे जाँ जिस्म से दूर खुद होती गयी
इल्जाम लेकिन जिन्दगी ने मौत के सर धर दिया

जाँ भी बीवी की तरह ही बेवफा सी हो गयी
जिस्म यूँ छोड़ा बीवी ने छोड़ ज्यों शौहर दिया
धूप का टुकडा कोई जब भी उतरा आसमा से
बाहे फैला के धरती ने आगोश मे अपनी लिया

ये क्या अपनापन हुआ ये क्या प्यार है भला
साथ देना तब तलक ठीक जब तक सब चला
बेवफा खुद होती है बीवी हो या फिर जिन्दगी
सौत को या मौत को बदनाम मुफ्त मे किया

मेरा मानना है कि

                  जीवन मे यदि कोई एक सोच या विचार आपको  दु खो या बीमारियों से बचाता है तो वो है सादगी परन्तु सादगी का अर्थ  मैला कुचैला ,गंदा या फिर लापरवाही से जीना नहीं अपितु स्वालम्बी बन कर,अनुशाषित जीवन जीने से है. अपना काम स्वयं करने से है ,दूसरों पर कम से कम आश्रित रहने से है. सादगी का अर्थ अपनी आवश्यकता अनुसार ही सामान खरीदने और उपयोग करने से है ना कि विज्ञापनों या प्रायोजित लेखों के प्रभाव  में  आकर अकारण शौपिंग करने और अनावश्यक सामान इकठ्ठा करने से है . 

                    किसी भी वस्तु  को  खरीदते समय प्राय लोग ध्यान ही नही करते कि अमुक वस्तु वास्तव में उनकी आवश्यकता है भी या नहीं. वो केवल इस लिए खरीदते  है की . किसी और के पास वो  सामन है या किसी पर रौब डालने के लिए या फिर दुसरे क्या कहेंगे  इसलिए .  कोई सामान  इस तरह खरीदना यदि मूर्खता न भी कही जाए तो भी पैसे को ठिकाने लगाने के अतिरिक्त तो कुछ नहीं कहा जाएगा. .तो सोचो आपके पास इतना अनाप शाप पैसा है क्या ?   ना केवल ये अपितु आवशयकता से अधिक मात्र में सामान खरीदना और संग्रह करना भी अनेक समस्याओं  का कारण बनता है और उसे भी सादगी नहीं कहा जा सकता 

                  हो सकता है कुछ लोग आपको कंजूस कहने लगें . परवाह मत करो क्योंकि  कंजूसी के भले लाख अवगुण हो परन्तु गुणों की संख्या उस से कुछ ज्यादा ही है.बस इतना ध्यान रखो कंजूसी का अर्थ भी आवश्यक खर्चो से बचना नहीं है अपितु अनावश्यक  खर्चो को समाप्त करना है. हो ये भी सकता है कुछ अछे दोस्त या कुछ  खर्चीले अपने आप का साथ छोड़ दे परन्तु ये तो निश्चित है कि स्वार्थी ,,अवसरवादी और परजीवी प्रकार के लोगो से आप की जान अवश्य  छूट   .जायेगी . कंजूसी के कारण आप अंत छंट नही खायेंगे तो बीमार भी कम पड़ेंगे . आप तो जानते ही है कम खाने से लोग बीमार नहीं पड़ते अपितु अधिक या गलत खाने से बीमार पड़ते है तो हुए न कंजूसी के फायदे . और कंजूसी  सादगी का जीवन जीने में काफी हद तक सहायता करती है .

                       अनुभव ये बताता है कि इंसान सुविधाओं को जुटाने के चक्कर  में  नाना प्रकार की असुविधाओं को जन्म देता है.अधिक पैसा आखिर किस काम आता है गलत खान पान पर, बीमारी पर, मुकदमो पर या शादी ब्याह के आडम्बरों पर .आप ठीक खायेंगे तो बीमार भी तो कम पड़ेंगे सारे काम सादगी से भी तो हो सकते हैं लेकिन नहीं जनाब  जो  इंसान अपने को अच्छे  कामों में आगे साबित नहीं कर पाता वो इन ओछे कामों में आगे  बढ़कर अपने अहम् को पूरा करता है और कुछ नहीं. . और इस प्रकार कई व्यसनों का शिकार हो जाता है व्यसन बिमारी को जनम देते है और फिर असमय मृत्यु और खेल ख़त्म .

सौतन

 इस कदर तकलीफ दी है जानेमन तूने  मुझे 

अब तो तेरे नाम से होने लगी नफरत मुझे 

पहले तेरे  बिन कभी कोई मुझे भाता   ना  था

 अब उसके पास जानें की  हो रही  चाहत मुझे 


आज तेरी नजरो में मेरी कोई कीमत न हो 

कल बहुत महसूस होगी मेरी जरुरत तुझे 

पर मुझे अफ़सोस है तब मै ना  लौट पाऊंगा 

उसकी बाँहों मे जो मै एक बार चला जाऊँगा


तुमने तो ठुकरा दिया ,तन्हा किया भुला दिया 

पर देख लेना वो मुझे हरगिज नहीं ठुकराएगी 

तुमने साथ न दिया तो न सही मर्जी तेरी 

सौतन तेरी बावफा है साथ लेकर जायेगी 


सौतन के इन्तजार की तारीफ़ कर सके तो कर 

जिस भी पल तू छोड़ देगी वो मुझे अपनायेगी

छीनने की उसने कोशिश इसलिए ही की  नहीं 

जानती थी एक दिन तू खुद उसे दे जायेगी 


पर सौत तेरी हो तो हो मेरी महबूबा है वो

मै तो खुशी से चल पडूंगा जब वो लेने आयेगी 

दर्द तन्हाई का शायद तब तुझे मालुम हो 

मै चला जाऊँगा और जब तनहा टू रह जायेगी 


तू सात फेरों में भी अपना  बन सकी ना बना सकी 

वो एक फेरे में ही मेरी जान  तक ले जाएगी 

मौत मेरी सौत तेरी बन के जब आ जायेगी 

देख लेना जिन्दगी तब टू बहुत पछताएगी 

Friday, February 12, 2021

अहसास अगर मर जाए तो

 अब तक तो जितने यार मिले

या मतलबी या गद्दार मिले


आँखों में बसाया जिसको भी
वो आंसू  बन के  बह  निकला
अब दिल में बसाया है  तुमको
देखें क्या हमे इस बार मिले

अहसास अगर मर जाए तो
रिश्तों में बता बाक़ी क्या बचा
क्यों लाश सा रिश्ता वो ढोना
ना वफ़ा मिले ना प्यार मिले

गरमाहट न रहे जब रिश्तो में
ये तो मरना हुआ  किश्तों में
जीना तो उसी को  कहतें है
जिसमे अपनो का प्यार मिले

चाहत से नही होता कुछ भी
जी जान लगाना पडता  है
मंजिल हो अगर आकाश में तो
पंखो को फैलाना पड़ता है

तू  पंख फैला के देख जरा
आकाश लगेगा छोटा  सा
हाँ पंख फैलाने की खातिर
हिम्मत को जुटाना पड़ता है

पिंजरे का पंछी क्या बनना 
दाना चोगा तो बैठें मिला
पर जब भी कभी उड़ना चाहा
बंद  पिंजरे के सब द्वार मिले 



Tuesday, February 9, 2021

रिश्ता ऐसा बना तुझसे ए जानेमन

 रिश्ता ऐसा बना तुझसे ए जानेमन 

ना  तो  जुड़ ही सका न हमसे तोडा गया 


यूँ लहराया  हवा में तेरा  दामन  सदा  

न हमसे पकड़ा गया न हमसे छोड़ा गया 


तेरे दर तक जो आता था वो रस्ता अज़ब

ना हम से तय हो सका न हम से मोड़ा गया 


यूँ तो तेरी ही जानिब बढ़ा  हर  कदम 

पर न  रुक ही सके न हम से दौड़ा गया 


घर बनाया तो था शौक से हमने भी 

पर  सलीके से कुछ भी न जोड़ा गया


नींव कमज़ोर  थी  बचता घर किस तरह 

हिली धरती कहीं  ईंट  कहीं  रोड़ा  गया  


 हारने पे कोई  युद्ध ना पूछो कभी 

 सवार है  कहाँ  कहाँ  घोडा गया 


 

मेरी बातो पर शायद तुझे आज यकीन नहीं आएगा

एक पल में ही  भूल जाए  जो उम्र भर के अहसान

मेरी नज़र में जानवर से  बदतर  है ऐसा इंसान  


 नहीं ज़रुरत फिर भी इकठा करता फिरे  सामान 

खुद ही समस्या पैदा कर रहा फिर ढूंढेगा समाधान 

 

बस औरों को उपदेश देने में   माहिर हैं  सब  लोग

जब  आन पड़े  खुद पे तो मारते   हर उसूल को लात 


न रिश्ते राहे अब रिश्तो से न रहा प्यार सा प्यार 

वक्त ने क्या  करवट ली सारा बदल गया संसार  


इतना ही खुददार है तो पिछला क़र्ज़ चुका के दिखा 

गर वो था मेरा  फ़र्ज़ तो चल अपना फ़र्ज़ निभा के दिखा 


मेरी  गलती रट रट  के खुद को तू पाक साफ न कर

अपना फ़र्ज़ निभाके दिखा फिर चाहे मुझसे बात ना कर  


तूने किसीका खाया है तो तेरा भी कोई खायेगा 

तूने रुलाया है मुझको कोई आकर तुझे रुलाएगा 


मेरी बातो पर शायद तुझे आज यकीन नहीं आएगा 

पर तू  रोयेगा पछतायेगा वो दिन भी  ज़ल्दी आएगा