एक पल में ही भूल जाए जो उम्र भर के अहसान
मेरी नज़र में जानवर से बदतर है ऐसा इंसान
नहीं ज़रुरत फिर भी इकठा करता फिरे सामान
खुद ही समस्या पैदा कर रहा फिर ढूंढेगा समाधान
बस औरों को उपदेश देने में माहिर हैं सब लोग
जब आन पड़े खुद पे तो मारते हर उसूल को लात
न रिश्ते राहे अब रिश्तो से न रहा प्यार सा प्यार
वक्त ने क्या करवट ली सारा बदल गया संसार
इतना ही खुददार है तो पिछला क़र्ज़ चुका के दिखा
गर वो था मेरा फ़र्ज़ तो चल अपना फ़र्ज़ निभा के दिखा
मेरी गलती रट रट के खुद को तू पाक साफ न कर
अपना फ़र्ज़ निभाके दिखा फिर चाहे मुझसे बात ना कर
तूने किसीका खाया है तो तेरा भी कोई खायेगा
तूने रुलाया है मुझको कोई आकर तुझे रुलाएगा
मेरी बातो पर शायद तुझे आज यकीन नहीं आएगा
पर तू रोयेगा पछतायेगा वो दिन भी ज़ल्दी आएगा
No comments:
Post a Comment