Tuesday, February 9, 2021

रिश्ता ऐसा बना तुझसे ए जानेमन

 रिश्ता ऐसा बना तुझसे ए जानेमन 

ना  तो  जुड़ ही सका न हमसे तोडा गया 


यूँ लहराया  हवा में तेरा  दामन  सदा  

न हमसे पकड़ा गया न हमसे छोड़ा गया 


तेरे दर तक जो आता था वो रस्ता अज़ब

ना हम से तय हो सका न हम से मोड़ा गया 


यूँ तो तेरी ही जानिब बढ़ा  हर  कदम 

पर न  रुक ही सके न हम से दौड़ा गया 


घर बनाया तो था शौक से हमने भी 

पर  सलीके से कुछ भी न जोड़ा गया


नींव कमज़ोर  थी  बचता घर किस तरह 

हिली धरती कहीं  ईंट  कहीं  रोड़ा  गया  


 हारने पे कोई  युद्ध ना पूछो कभी 

 सवार है  कहाँ  कहाँ  घोडा गया 


 

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