Monday, December 28, 2009

मेरी नजरो से  खुद को देखो खुद को जानो तुम
 तुम सा सुंदर कोई नहीं ये बात मेरी सच मानो तुम

होंठ गुलाबी नयन शराबी रेशमी जुल्फें काले बाल
 बिना पीये ही झूम उठे देखे जो तेरी लहराती चाल

 सुडोल  बदन नयन नख्श तीखे चहरे पे गज़ब का नूर
 ऐसा लगता है धरती पे उतर आयी जन्नत की हूर

 चाल चले तो ऎसी जैसे मंद मंद चलती है हवा
मुस्काती है ऐसे जैसे फूल कमल का खिलता हुआ

 बदन तेरा गदराया जो भी छू ले वो ही  तर जाए
इसके बाद क्या उसको फिक्र वो ज़िंदा रहे या मर जाए

एक नजर जो देख ले तुझ को होके रह जाए तेरा
 मै  भी हुआ दीवाना खुद तो  क्या कसूर है तेरा

 घर का तेरे पता है लेकिन  मन का मुझे  पता दे
 कौनसा रस्ता सीधे तेरे मन तक जाए बता दे

काश तू कोई  दुःख सुख अपना कभी तो मुझ से बांटे
और  हटा पौऊ मै तेरी राह से दुःख के कांटे