Thursday, November 6, 2008

खाली पॆमाने की तरह यूं ना ठुकरा तूं हमें

इस तरह हिम्मत ना हारो राह बाकी हॆ अभी
 ये तो पडाव हॆ कहां मन्जिल पे पहुचे हॆं अभी
 इस तरह थक हार कर हॊंसला क्या छोडना
मंजिल दिखाई दी तो हॆ मंजिल मिली कहां अभी
आस्मां तक पहुंचने की हमने खाई थी कसम
पांव तले जमीन भी नहीं ठीक से आई अभी
खाली पॆमाने की तरह यूं ना ठुकरा तू हमे
काम आऊंगा लगेगी प्यास तुझको फिर कभी

Tuesday, November 4, 2008

कत्ल करने का इरादा ही नहीं रखता अगर

कत्ल करने का इरादा ही नही रखता अगर
 आस्तीनॊ मे तू खन्जर को छुपाता क्यों हॆ
 दर्द को राज ही रखने की जो खाई हॆ कस्म
 आख मे आंसू का कतरा कोई आता क्यों हॆ
 प्यार हॆ तुझको तो फिर आके गले लगजा मेरे
 प्यार हॆ प्यार हॆ कह कह के सताता क्यों हॆ
 तू मेरा दोस्त हॆ माना मगर इतना तो बता
 मेरे रकीबों से तूं रखता कोई नाता क्यों हॆ
अब यहां कॊन तेरे दर्द मे होगा हमदर्द
किस्से तु गम के किसीको भी सुनाता क्यों हॆ
सबके हाथों में हॆ नश्तर नहीं मरहम कोई
जख्म तू खोल के इन सब को दिखाता क्यों हॆ
 मॆं जहां पहुचा हूं इक बार वहां आके तो देख
सब्र के पाठ मुझे यूं ही पढाता क्यों हॆ