इस तरह हिम्मत ना हारो राह बाकी हॆ अभी
ये तो पडाव हॆ कहां मन्जिल पे पहुचे हॆं अभी
इस तरह थक हार कर हॊंसला क्या छोडना
ये तो पडाव हॆ कहां मन्जिल पे पहुचे हॆं अभी
इस तरह थक हार कर हॊंसला क्या छोडना
मंजिल दिखाई दी तो हॆ मंजिल मिली कहां अभी
आस्मां तक पहुंचने की हमने खाई थी कसम
पांव तले जमीन भी नहीं ठीक से आई अभी
खाली पॆमाने की तरह यूं ना ठुकरा तू हमे
काम आऊंगा लगेगी प्यास तुझको फिर कभी
5 comments:
bahot hi sundar likha hai aapne bahot khub,aapko dhero badhai ,
Waah ! bahut sundar rachna.
bahut acchi rachana
बहुत बढ़िया!!
आप कभी मेरे ब्लाग पर आयें, आपसे तजुर्बेकार से अपनी रचनाओं के विषय में कुछ टिप्पणी चाहूँगा!
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