Wednesday, November 15, 2017

मकसद के पूरा होने पर रिश्तों का नाम बदल जाता है

मकसद के पूरा होने पर रिश्तों का नाम बदल जाता है
कहीं  बदलती है राधा और कहीं श्याम बदल जाता है किस

यहाँ ज़रुरत तय करती किस रिश्ते की कीमत कितनी है
 मांग के घटने बढ़ने पर हर चीज़ का दाम बदल जाता है

लाख कोई खाये कस्मे कोई लाख करे तुझ से वादा
रिश्तों का बदलना लाज़िम है नही सुबह तो शाम बदल जाता है

बदले औकात तो पीने का अंदाज़ बदलने लगता  है
बोतल भी बदल जाती है और जाम बदल जाता है

औकात जरा सी क्या बदली महफ़िल ही बदल डाली तुमने
साधन भी बदलने लगते है जब काम बदल जाता है

आज जो तेरा है वो कल किसी और की बाहों में होगा
यहाँ बंद लिफाफे में अक्सर पैगाम बदल जाता है

तेरी नही तेरे पास है जो यहाँ बस उसकी ही इज़्ज़त है
कुर्सी से जरा हट  कर देखो सलाम बदल जाता है

गए जमाने शर्म से सर झुकता था  रंग बदलने पर
अब तो बदलने वाला,  रंग सरे आम बदल जाता है

तू बदल गया तो क्या शिकवा बदलाव नियम है कुदरत का
हम को तो शिकायत खुद से है ना सुबह बदल पाता  है न शाम बदल पाता है