तेरी गर्दन एक सुराही है तेरे होंठ है इक मय का प्याला
तेरे नयन हैं मय का स्त्रोत प्रिय तेरा स्पर्श बनाये मतवाला
जिसको भी देखा मुस्काके उसको ही घायल कर डाला
अब जाने खुदा या तू ही बता तूँ बला है या फिर है बाला
ये मय है या अमरत्व टपकता है तेरे इक इक अंग से
कभी लगे कि जिन्दा मार दिया कभी लगे अमर है कर डाला
किस किस अंग की तारीफ करू है नशा तेरे इक इक अंग में
तेरी चाल करे बेहाल चले तू इस ढंग से या उस ढंग से
कुछ होश नही रहता मुझको जब होता हूँ तेरे संग में
मुझ को तो नशीली लगती हो देखा तुमको जिस भी रंग में
कभी लगे तुँ एक सुराही है कभी लगे तूँ है मय का प्याला
कभी मुझ को नजर आती है तूँ सारी की सारी मधुशाला
जो भी है लेकिन ये तय है कि अब ये तेरा मतवाला
तेरी मह्फिल से प्यासा ही नहीं लौट के अब जाने वाला
मै कई वर्षों का प्यासा हूँ नही पीना इक दो जाम प्रिय
सारी की सारी मधुशाला तुम कर दो मेरे नाम प्रिय
ता उम्र जो प्यासा बैठा रहा उसे कुछ तो मिले ईनाम प्रिय
फिर उसके बाद चाहे तो खुदा बेशक कर दे मेरी शाम प्रिय
अन्जाम-ए-सफर इससे बेहतर क्या देखा फरिश्तों ने होगा
दम निकलेगा तेरी बाहों मे होंठों पे होगा तेरा नाम प्रिय
तेरे नयन हैं मय का स्त्रोत प्रिय तेरा स्पर्श बनाये मतवाला
जिसको भी देखा मुस्काके उसको ही घायल कर डाला
अब जाने खुदा या तू ही बता तूँ बला है या फिर है बाला
ये मय है या अमरत्व टपकता है तेरे इक इक अंग से
कभी लगे कि जिन्दा मार दिया कभी लगे अमर है कर डाला
किस किस अंग की तारीफ करू है नशा तेरे इक इक अंग में
तेरी चाल करे बेहाल चले तू इस ढंग से या उस ढंग से
कुछ होश नही रहता मुझको जब होता हूँ तेरे संग में
मुझ को तो नशीली लगती हो देखा तुमको जिस भी रंग में
कभी लगे तुँ एक सुराही है कभी लगे तूँ है मय का प्याला
कभी मुझ को नजर आती है तूँ सारी की सारी मधुशाला
जो भी है लेकिन ये तय है कि अब ये तेरा मतवाला
तेरी मह्फिल से प्यासा ही नहीं लौट के अब जाने वाला
मै कई वर्षों का प्यासा हूँ नही पीना इक दो जाम प्रिय
सारी की सारी मधुशाला तुम कर दो मेरे नाम प्रिय
ता उम्र जो प्यासा बैठा रहा उसे कुछ तो मिले ईनाम प्रिय
फिर उसके बाद चाहे तो खुदा बेशक कर दे मेरी शाम प्रिय
अन्जाम-ए-सफर इससे बेहतर क्या देखा फरिश्तों ने होगा
दम निकलेगा तेरी बाहों मे होंठों पे होगा तेरा नाम प्रिय