Saturday, February 27, 2010

गंगा खुद नाले में गिर जाए तो नाला क्या करे

मंजिले सब से जुदा हैं रास्ते भी हैं जुदा
हमसफर कोई ना बने तो ये  मुसाफिर क्या करे
 
 नाले का गंगा में मिलने का तो कोई हक़ नही
 गंगा खुद नाले में मिल जाए तो नाला क्या करे
 
आग लगने से बचा रखा था सूखी घास को
चिंगारी कोई डाले तो घास ना जले तो क्या करे
 
 साजे दिल के तार ढीले खुद ही तो उसने कसे
 छूने से फिर सगीत बज उठा तो साज क्या करे
 
 आग पे तो खुद कडाही अपने हाथों से चढा दी
अब कडाही ना तपे तो फिर कडाही क्या करे
 
अपने हाथों में उठाकर खुद शिखर तक ले गये
 फिर छोड़ने से नीचे कोई ना गिरे तो क्या करे
  किसी को आजमाने का ये तो तरीका ना हुआ
खुद ही परोसी थाली और मुहं में निवाला खुद दिया
भूखा ऐसे में ना रोटी  खाए तो फिर क्या करे

 वो' हाँ 'करे तो भी मरे वो 'ना' करे तो भी मरे

Monday, February 22, 2010

तुम पहले दोस्त बनी होती तो बात ही कुछ और होती

तुम पहले दोस्त बनी होती तो बात ही कुछ और होती

कुछ पहले और मिली होती तो बात ही कुछ और होती

ये सूरज पहले निकल आता मेरे दिन कुछ और हुए होते

ये चांदनी पहले खिली होती तो रात ही कुछ और होती

ता उम्र अकेले तन्हा ही मै यहाँ वहां भटका ही किया

तेरा साथ मिला होता पहले तो बात ही कुछ और होती

जीवन के इस मरुथल में सूरज तो दहकते मिले बहुत

ये बदली पहले घिरी होती तो बरसात ही कुछ और होती

अब मुंह में दांत नही बाक़ी तो चनो का बोलो क्या कीजे

ये पोटली पहले मिली होती तो बात ही कुछ और होती

धरती तो क्या ये आसमान भी हम को छोटा पड़ जाता

कुछ पहले उड़ान भरी होती तो बात ही कुछ और होती

चंद खुशियाँ तेरी झोली में भर दूँ कोशिश है अब भी मेरी

कहीं पहले मिली होत्ती तो ये सौगात ही कुछ और होती

किस किस बात की बात करूं बस इतनी बात समझ लीजे

कुछ पहले बात हुई होती तो हर बात ही कुछ और होती

Sunday, February 21, 2010

अब तक तो दर्पण टूटा था कोई अक्स भी आज तो तोड़ गया

अब तक तो दर्पण टूटा था कोई अक्स भी आज तो तोड़ गया

पहले छूटे रिश्ते नाते लेकिन इक साया साथ में था

जाने कहाँ हम से चूक हुई साया भी साथ को छोड़ गया

पहले भी जख्म मिले हैं बहुत पर वक्त ने उनको भर डाला

नासूर से भी ज्यादा गहरा कोई जख्म वो दिल पे छोड़ गया

वो पल पल हमे आजमाता रहा हम प्यार समझते चले गये

आजमाईश ही अजमाइश में वो दिल का शीशा तोड़ गया

लगता था खुशियाँ ही खुशियाँ दामन में भर देगा

वो जान से प्यारा यार मेरा मेरी आँख में आंसू छोड़ गया

बेखबर से थामे हाथ उसका हम चलते गये चलते ही गये

अब जाऊं कहाँ कुछ सूझे ना ऐसे मोड़ पे वो हमे छोड़ गया