Sunday, December 26, 2021

रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी

 

तूफ़ान आने पे वो कश्ती ना डूबेगी तो क्या होगा

तूफान आने से पहले दरकिनार जिसने किया माझी

 

अंधेरो से लड़ाई मोल लूँ तो किस भरोसे पे

महफ़िल में एक शमा थी वो भी तो ले गया साकी


कहाँ से रौशनी लाऊं   दिया कैसे रखूं जलता

न अब तो तेल बचा न ही बाती बची बाकी


जमाने भर के शिकवे या गिले क्यों मुझ से करता है

कभी तो अपने दिल में झांक कर भी  देखा कर साथी


दुआ दे या दवा दे फर्क कुछ पड़ने नहीं वाला

रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी