तूफ़ान आने पे वो कश्ती ना डूबेगी तो क्या होगा
तूफान आने से पहले दरकिनार जिसने किया माझी
अंधेरो से लड़ाई मोल लूँ तो
किस भरोसे पे
महफ़िल में एक शमा थी वो भी
तो ले गया साकी
कहाँ से रौशनी लाऊं दिया
कैसे रखूं जलता
न अब तो तेल बचा न ही बाती
बची बाकी
जमाने भर के शिकवे या गिले क्यों
मुझ से करता है
कभी तो अपने दिल में झांक
कर भी देखा कर साथी
दुआ दे या दवा दे फर्क कुछ
पड़ने नहीं वाला
रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी
3 comments:
Uncle Ghar aa jao
Uncle Ghar aa jana
Kya aap thik ho uncle?
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