जब कोई मुस्का के मिलने लगता है
अपनो से भी ज्यादा अपना लगता है
फिर मेरे आँगन मे कोई चाँद उतरने लगता है
फिर ये मन का पंछी ऊँचे गगन मे उडने लगता है
फिर इस ठूंठ की डाली डाली कोंपल फूटने लगती है
फिर मुरझाये पौधो मे कोई फूल निकलने लगता है
फिर सूखे खेतो में जैसे पानी पडने लगता है
फिर बीजों से जैसे कोई अंकुर फूटने लगता है
कया नही जानता बीज जमीं में पडे पडे सड जाते है
नही पता क्या बादल अक्सर बिन बरसे उड जाते हैं
फिर भी नील गगन में जब कोई बादल दिखने लगता है
मुझ को मन की धरा पे बहता दरिया दिखने लगता है
हर पल यूँ लगता है बादल अब बरसा कि तब बरसा
कैसा भी हो मौसम मुझ को सावन लगने लगता है
और कोई हंस कर जब मुझको कहने लगता है अपना
नयनो में बसने लगता है फिर से एक नया सपना
फिर से सारे रिश्ते मुझको सच्चे लगने लगते हैं
क्या अपने क्या बेगाने सब अपने लगने लगते हैं
व्यापारियों की इस दुनिया में मै प्यार ढूंढता फिरता हूँ
सब कह्ते है नहीं मिलेगा बेकार ढूंढता फिरता हूँ
अपनो से भी ज्यादा अपना लगता है
फिर मेरे आँगन मे कोई चाँद उतरने लगता है
फिर ये मन का पंछी ऊँचे गगन मे उडने लगता है
फिर इस ठूंठ की डाली डाली कोंपल फूटने लगती है
फिर मुरझाये पौधो मे कोई फूल निकलने लगता है
फिर सूखे खेतो में जैसे पानी पडने लगता है
फिर बीजों से जैसे कोई अंकुर फूटने लगता है
कया नही जानता बीज जमीं में पडे पडे सड जाते है
नही पता क्या बादल अक्सर बिन बरसे उड जाते हैं
फिर भी नील गगन में जब कोई बादल दिखने लगता है
मुझ को मन की धरा पे बहता दरिया दिखने लगता है
हर पल यूँ लगता है बादल अब बरसा कि तब बरसा
कैसा भी हो मौसम मुझ को सावन लगने लगता है
और कोई हंस कर जब मुझको कहने लगता है अपना
नयनो में बसने लगता है फिर से एक नया सपना
फिर से सारे रिश्ते मुझको सच्चे लगने लगते हैं
क्या अपने क्या बेगाने सब अपने लगने लगते हैं
व्यापारियों की इस दुनिया में मै प्यार ढूंढता फिरता हूँ
सब कह्ते है नहीं मिलेगा बेकार ढूंढता फिरता हूँ