Thursday, January 2, 2014

कभी मेरी याद आये तो आँखों में आंसू मत भरना

 कभी मेरी याद आये तो आँखों में आंसू  मत भरना
इक दिन तो इस दुनिया से सब को किनारा है करना

 खुद को तन्हा नही समझना साथ तेरा दूँगा  हरदम
मै  भी जोर लगाऊंगा जब  जोर  पड़ेगा तेरा कम
 
मेरी हर एक सीख तुझे जीवन में राह दिखायेगी
नहीं भटकने देगी तुझ को मंजिल तक पहुंचाएगी

नही सोचना अब क्या होगा जब  मै  आँखे  बंद करूँ
नींद कहीं ना खुल जाये फिर से ना तुमको तंग करूँ

कितना तुम ने सीखा है और कितना मैंने सिखाया
वक्त होगा आजमाने का नही अबतक जो आजमाया

अपनी आँखे खोल के चलना जब  मेरी  बंद हो जाए
नही भरोसा किसी का करना कोई कितना  बहकाये

याद रहे कि इस  दुनिया  का कुछ दस्तूर है ऐसा
वक्त पे काम  आता है अपनी बुदधी अपना पैसा

गुस्सा तुनकपन   कड़वे बोल से बचना तू हर बार
काम जो निकले प्यार से ना निकाल पाये तलवार

हिम्मत रखना कभी ना खुद को  करना तू कमजोर
गुजर जाएगा  इक दिन कोई बुरा जो आया दौर

कोई साथ मिले तो बेहतर वरना दिल पे ना लेना
वैसे भी यहाँ बिन मतलब नही साथ किसीने देना

प्यार व्यार की बाते मान के चलना है बेकार
तुझसे ज्यादा नही किसी ने करना तुझसे प्यार

नूर चेहरे पे चमक आँखों में रख हरदम मुस्काना
हाँ रो लेना कभी  जो चाहो मुझे भी संग रुलाना



क्या हुआ जो बदल गया एक और साल है



जिस तरफ भी देखिये मचा हुआ धमाल है
सुनते है कि आने वाला कोई नया साल है

लेकिन दिल से पूछीये कि इसमे कुछ नया है क्या
जो था पहली जनवरी, दिसंबर भी तो वही हाल है

बेवफाई, बेहयाई मतलब से बनती यारियां
कुछ भी तो बदला नही ये दिल मे मेरे मलाल है

पेहले भी भ्र्ष्टाचार था अब भी भ्ष्टाचार है ,
आज भी तो औरतो पे होता बलात्कार है 

पेहले कोई विरला रावण या दुशासन था कोई
अब तो जिधर देखीये, इन्ही की भरमार है
जी नही रहे है अब तो सिर्फ पी रहे है लोग
पीने को ही खुशी समझ पी के जी रहे है लोग 

पांव थिरके है तो कुछ दिल भी थिरकना चाहिये
दूजे के होन्ठो पे भी हसी को बिखरना चाहिये
खुद ही नाचे खुद ही झूमे खुद मनायी हर खुशी
उन की भी सोची जिन्दगी जिनके लिये जन्जाल है
आया है तो जायेगा ये कौन बडी बात है
किस बात की खुशी है फिर किस बात का मलाल है 

वक्त चलता जा रहा यही सोचने का वक्त है
जो भी ठहरा रह गया वो  सिर्फ कमबख्त है
 
तुम बदलते मै बदलता तब तो कोई बात थी
क्या हुआ जो बदल गया और एक साल है

आप चाहे कुछ कहो मुझ को तो लगता है ये
पियक्कडों की पीने पिलाने की ये कोई चाल है 

क्या हुआ जो बदल गया एक और साल है