अकेला हूँ ज़रूरत है तेरी पर ये ना सोचना
मेरी मज़बूरियों का यूँ कोई फायदा उठाएगा
नया उसूल अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से
जो हमको याद रखेगा वो हमको याद आएगा
नाहिंन चाहिए है फ़ोनों फ्रेंड ना बातों की ही हमदर्दी
करेगा जितना जो सहयोग वो हमसे उतना gaपायेगा
गए वो दिन एक तरफा प्यार में पागल से फिरते थे
करेगा प्यार जो हमको अब वो ही प्यार पायेगा
यकीन मानो ज़मीं उप्जाऊ है बंजर नहीं यारा
जरा तू बीज बो,, फिर देख फसल तूं कितनी पायेगा
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