Tuesday, December 21, 2021

नया उसूल अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से

अकेला हूँ ज़रूरत है तेरी पर ये ना सोचना 

मेरी मज़बूरियों का यूँ कोई फायदा उठाएगा 

नया उसूल  अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से 

जो हमको याद रखेगा वो हमको याद आएगा 

नाहिंन चाहिए है फ़ोनों फ्रेंड ना बातों की ही हमदर्दी

करेगा जितना जो सहयोग वो हमसे उतना gaपायेगा 

गए वो दिन एक तरफा प्यार में पागल से फिरते थे 

करेगा प्यार जो हमको अब वो ही प्यार पायेगा

यकीन मानो ज़मीं उप्जाऊ है बंजर नहीं यारा

जरा तू बीज बो,, फिर देख फसल तूं कितनी पायेगा 


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