Tuesday, December 21, 2021

जिसे कहतें है सब शादी, है बर्बादी का कदम पहला

खामोशी को ना जो समझा जुबां को भी ना समझेगा 

फिर कह सुन कर क्यों  शर्मिन्दा  हुआ जाए किया जाए 

दुआ कर कर के मुझको   दुश्मनों  ने ज़िंदा रखा है 

मेरे अपने तो चाहते हैं कि कल का आज मर जाए  

परिंदों  पर पाबंदी है खुले में  दाना चुगने की 

परिंदा पेट भरने को सिवा पिंजरे कहाँ जाए 

फंसा एक बार पिंजरे में निकलना फिर नहीं मुमकिन 

परिंदा लाख पर मारे परिंदा लाख छटपटाये  

जिसे कहतें है सब शादी, है बर्बादी का कदम पहला 

निकल सकता नही बचके जो भी एक बार फँस जाए 

जो फायदा नीम का चाहिए चटोरी जीभ से कह दो 

बिना शिकवा गिले चुपचाप कडवापण सहा जाए  



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