Friday, December 25, 2020

झूठे वाडे झूटी कस्मे और झूठे सब जज्बात

 अर्थ हीन सी लगने लगी है मुझ को हर एक बात
ना दिन लगते  दिन जैसे न लगे रात सी रात 

ना दोस्त रहे अब दोस्तों से ना रहा प्यार सा प्यार
अब तो सब करने लगे  मतलब सा व्यवहार 

जब तक इस्तेमाल  है तेरा तब तक क़द्र  है तेरी
वरना आँखे  फेर लेने में करे ना कोई देरी 

अच्छे  बुरे का   दुनिया में बस बचा एक पैमाना
कौन मेरे क्या काम आया या कितने काम है आना

 आज नहीं तो कल तुझको अहसास जरूर है होना
जो है रुलाता औरों को उसे पड़ेगा इकदिन रोना 

झूठे वाडे झूटी कस्मे और झूठे सब जज्बात
अपना उल्लू सीधा हुआ तो भूल गए हर बात 

पर मर जाए या मुकर जाए या हो जाए बेईमान
उसका इलाज़ तो ढूंढ नहीं पाया हकीम लुकमान




 

1 comment:

Unknown said...

nanu mera test h 28th dec ko