Tuesday, October 17, 2017

सिर्फ चाहने से इस दुनिया में कुछ होता नहीं हासिल

अगर ख्वाहिश में है गुलाब तो इतना समझ लीजे
बिना कांटो के तो   गुलाब बस ख्वाबो  में खिलता है

तुम्हारी याद तो अब भी बहुत आती है जाने मन
ना जाने क्यों मगर  आँखो  से आंसू  कम  निकलते हैं

ख्वाबो को बिखरते  टूटते किस दिन नहीं देखा
मगर कुछ ख्वाब रह रह कर मेरी आँखों  में पलते हैं

सिर्फ चाहने से इस दुनिया में कुछ होता नहीं हासिल
 है मिलता उनको जो घर छोड़ बाहर को निकलते हैं

फिसलने की उम्र ज्यादा संभल कर जो रहे चलते
संभलने की उम्र में लोग वो अक्सर फिसलते है

परिंदे ने किया जब फैसला आकाश पाने का
उसे पिंजरे के दरवाज़े अब सारे  बंद मिलते हैं

बता तुझ में और पालतू जानवर   में फर्क क्या बचा
रहने को छत खाने को दाने तो उसको भी मिलते हैं

कोई भी फैसला लेने की आज़ादी   नहीं जिसको
अमीरों के घरो में बच्चे अक्सर  ऐसे  पलते  हैं

ना रख उम्मीद  इन से ये खुशी तेरी न चाहेंगे
तुझे जायदाद और खुद को तेरा मालिक समझते हैं

 बहा तू लाख आंसू ये कभी हरगिज़ ना पिघलेंगे
 तू बन ज्वालामुखी फिर देख पत्थर  भी पिघलते हैं

अब  डर सैयाद से उतना नही जितना है माली से
सुना  है माली खुद बुलबुल का सौदा  करते फिरते हैं

जो तेरा  सिर्फ तेरा होने का दम भरते फिरते हैं
वो आज तेरी तो कल किसी और की बाँहों में मिलते हैं

 आई लव यु  या आई मिस यु या यू मिस मी  कहने तक
अगर यही प्यार होता है तो फिर सारे ही करते हैं

उम्र भर साथ देने की जो खाते  रोज़ है  कस्मे
बुरा वक़्त आने पे ये सब से पहले रंग बदलते हैं

   







 



 

1 comment:

Unknown said...

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