Tuesday, October 17, 2017

एक और उम्मीद आज फिर से धोखा दे गयी

एक और उम्मीद आज फिर से धोखा दे गयी
देखते ही देखते एक और रिश्ता मर गया

फायदे और  नुक्सान के पलड़े में ना तोलो तो ठीक
प्यार के व्यापार में तो घाटा ही अक्सर हुआ

बुजदिलों को दिल लगाने का कोई  होता हक़ नही
पहली चोट पे यार  तू तो   पाला ही बदल गया 

इस तरह तोड़ा है तूने दिल मेरा   ऐ  बेवफा
हर बेवफा से बेवफाई का गिला   जाता रहा

देके धोखा आज खुश हो ले भले कोई ग़म नही
बहुत पछताएगी जब तुझको कोई धोखा मिला


     

2 comments:

Unknown said...

सर आपसे मिलना चाहता हु आपकी कविता दिल को छु जाती है

Krishan lal "krishan" said...

no problem brother. intimate your mobile no. and then time and venue can be fixed