घर का दरवाज़ा अब खटखटाता नही कोई
शायद किसी को मेरी ज़रूरत नही रही
और दिल के दरवाज़े नही होती कोई दस्तक
मुझसे किसी को भी अब मोहब्बत नही रही
सख़्तियों ने ही उसे पाला होगा शायद
उसकी जुबां में अब जो नजाकत नही रही
वो छोड़ गया राह में तकलीफ तो हुई
आराम है कि साथ अब आफत नही रही
कभी चाँद उतर कर नही आया मेरे अंगना
कुदरत के नियम तोड़ने की ताकत नहीं रही
चाँद तो धरती के चक्कर ही लगाता रह गया
धरती को सूरज के इर्द गिर्द घूमने से फुरसत नही रही
अब ऐसा प्यार भी कहाँ परवान चढ़ना था
चाहा उसे जो किसी और की चाहत बनी रही
शायद किसी को मेरी ज़रूरत नही रही
और दिल के दरवाज़े नही होती कोई दस्तक
मुझसे किसी को भी अब मोहब्बत नही रही
सख़्तियों ने ही उसे पाला होगा शायद
उसकी जुबां में अब जो नजाकत नही रही
वो छोड़ गया राह में तकलीफ तो हुई
आराम है कि साथ अब आफत नही रही
कभी चाँद उतर कर नही आया मेरे अंगना
कुदरत के नियम तोड़ने की ताकत नहीं रही
चाँद तो धरती के चक्कर ही लगाता रह गया
धरती को सूरज के इर्द गिर्द घूमने से फुरसत नही रही
अब ऐसा प्यार भी कहाँ परवान चढ़ना था
चाहा उसे जो किसी और की चाहत बनी रही
No comments:
Post a Comment