चेहरे की लकीरों को खुद गौर से तुम पढ़ लो
हम तुम को बताएं क्या , क्या हाल हमारा है
कभी दर्द हमारा कोई तुम बाँट नही पाए
नाहक क्यों पूछते हो क्या हाल तुम्हारा है
इक हाथ में है नश्तर इक हाथ तेरे मरहम
मर्ज़ी तेरी चलनी है भले ज़ख्म हमारा है
शीशा ही नहीं टूटा ाज़ी अक्स भी टूटा है
तुमने पत्थर कितनी बेरहमी से मारा है
तुम जीत गए मुझसे तो कौन अजूबा हुआ
ये शख्स तो जीवन भर हर शख्स से हारा है
तन्हाई से तंग आकर किसी और को संग कर लूँ
ना चाहत है अपनी ना उसूल हमारा है
माना कि कसम टूटी नही तुम बिन रह पाए
सच मानो मगर इसमें नही दोष हमारा है
पैरों को अगर रोका तो दिल तन से निकल भगा
वो कहता है कि उसको तेरे दिल ने पुकारा है
हम तुम को बताएं क्या , क्या हाल हमारा है
कभी दर्द हमारा कोई तुम बाँट नही पाए
नाहक क्यों पूछते हो क्या हाल तुम्हारा है
इक हाथ में है नश्तर इक हाथ तेरे मरहम
मर्ज़ी तेरी चलनी है भले ज़ख्म हमारा है
शीशा ही नहीं टूटा ाज़ी अक्स भी टूटा है
तुमने पत्थर कितनी बेरहमी से मारा है
तुम जीत गए मुझसे तो कौन अजूबा हुआ
ये शख्स तो जीवन भर हर शख्स से हारा है
तन्हाई से तंग आकर किसी और को संग कर लूँ
ना चाहत है अपनी ना उसूल हमारा है
माना कि कसम टूटी नही तुम बिन रह पाए
सच मानो मगर इसमें नही दोष हमारा है
पैरों को अगर रोका तो दिल तन से निकल भगा
वो कहता है कि उसको तेरे दिल ने पुकारा है
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