Saturday, April 22, 2017

लगती है चोट किनारे को उसने ये कभी सोचा ही नही

बर्बाद किसी को करने के कई और तरीके भी होंगे
क्या हुआ जो एक तरीके  से बर्बाद में तुमसे हुआ नही

कोई  फूँक जोर से मारो या  आँधिया ढूंढ के लाओ तुम
जो भी करना है कर डालो ये दिया अभी तक बुझा नही

बिजली से कहो  कुछ और जोर से गिरे मेरे घर की छत पर
 अभी मेरा नशेमन बाक़ी है अभी सारा गुलशन जला नही

कुछ और हवा दो यारों  मेरे अभी आग ठीक से लगी कहाँ
कुछ तिनके अभी भी बाकी हैं अभी आशियाँ  पूरा जला नही

समुन्दर से कहो सुनामी कोई  मेरे इस तट  पर ले आये
ऊँगली से लिखा इस रेत  पे तेरा नाम अभी तक मिटा  नही

तुम दिल इतना छोटा ना करो अभी और सितम कर सकते हो
दिन रात सही पर आंसू के सिवा अभी आँख से कुछ टपका ही  नही

कुछ नए ज़ख़्म दो इस दिल को कुछ पिछले जखम कुरेदो  तुम
आंसू संग खून भी बह  निकले दिल इतना  आहत  हुआ नही

कभी लहर  गिराना कभी लहर  उठाना ठहरा ये खेल समुन्दर का
लगती है चोट किनारे को उसने ये कभी सोचा ही नही

कभी वक्त मिले तो सोचना तुम इ दोस्त कहीं ऐसा तो नही
है अब भी कुछ  प्यार तेरे दिल में  जो मै  अब तक पूरा मिटा नही



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