धरती प्यासी रहनी है और बादल को बरसना ही नही
तो आसमा पर फिर ये बादल छाये क्या ना छाये क्या
ना दवा ना दुआ ना करनी मरीज़ की सेवा
हाल पूछने मेरा तुम आये क्या ना आये क्या
मैं तो मरीज़ -ऐ- इश्क हूँ मेरा सकून तेरा इश्क था
सामान ऐशो आराम के तुम लाये क्या ना लाये क्या
ज़िंदगी हमने गुजार दी सिर्फ अंधेरो में हज़ूर
अब कब्र पे मेरी दीये कोई जलाये क्या ना जलाये क्या
रातें भी गुजरी अकेले, दिन भी अकेले ही कटे
अब जनाजे पर मेरे कोई आये क्या ना आये क्या
जब चाँद मिलना ही नही तो चाँद की तमन्ना क्यों
जो चीज़ अपनी ही नही वो भाये क्या ना भाये क्या
तो आसमा पर फिर ये बादल छाये क्या ना छाये क्या
ना दवा ना दुआ ना करनी मरीज़ की सेवा
हाल पूछने मेरा तुम आये क्या ना आये क्या
मैं तो मरीज़ -ऐ- इश्क हूँ मेरा सकून तेरा इश्क था
सामान ऐशो आराम के तुम लाये क्या ना लाये क्या
ज़िंदगी हमने गुजार दी सिर्फ अंधेरो में हज़ूर
अब कब्र पे मेरी दीये कोई जलाये क्या ना जलाये क्या
रातें भी गुजरी अकेले, दिन भी अकेले ही कटे
अब जनाजे पर मेरे कोई आये क्या ना आये क्या
जब चाँद मिलना ही नही तो चाँद की तमन्ना क्यों
जो चीज़ अपनी ही नही वो भाये क्या ना भाये क्या
1 comment:
bahut badhiya sir i salute you
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