दूर तक कोई साथ किसी के नही चलता
रिश्ता कोई भी देर तक नहीं अब तो संभलता
हम स्पेशल हैं तभी तक ही किसी के वास्ते
दूसरा बेहतर उसे जब तक नहीं मिलता
गेंदा भी इतरा के बालो में लगा लेती है हूर
गुलाब कहीं से उसे जब तक नहीं मिलता
क्यों दिखाता फिर रहा सब को अपना चाक दामन
देख कर हंस लेंगे सब , कोई नहीं सिलता
उलझे धागे की तरह खुद में ही उलझे है लोग
कभी गाँठ नही खुलती कभी सिरा नहीं मिलता
काम क्या आएगा किसीके वो शख्स तू बता
अपनी ही उलझनों से वक्त जिसको नहीं मिलता
अच्छा तो लगता है चाँद पर दूरी के अहसास से
हिम्मत भी नही होती दिल भी नहीं मचलता
कहने को जीता मरता है वो शख्स मेरे वास्ते
मिलने का वक्त भी जिसे अक्सर नही मिलता
रिश्ता कोई भी देर तक नहीं अब तो संभलता
हम स्पेशल हैं तभी तक ही किसी के वास्ते
दूसरा बेहतर उसे जब तक नहीं मिलता
गेंदा भी इतरा के बालो में लगा लेती है हूर
गुलाब कहीं से उसे जब तक नहीं मिलता
क्यों दिखाता फिर रहा सब को अपना चाक दामन
देख कर हंस लेंगे सब , कोई नहीं सिलता
उलझे धागे की तरह खुद में ही उलझे है लोग
कभी गाँठ नही खुलती कभी सिरा नहीं मिलता
काम क्या आएगा किसीके वो शख्स तू बता
अपनी ही उलझनों से वक्त जिसको नहीं मिलता
अच्छा तो लगता है चाँद पर दूरी के अहसास से
हिम्मत भी नही होती दिल भी नहीं मचलता
कहने को जीता मरता है वो शख्स मेरे वास्ते
मिलने का वक्त भी जिसे अक्सर नही मिलता
No comments:
Post a Comment