Saturday, January 14, 2017

हम स्पेशल हैं तभी तक ही किसी के वास्ते

दूर तक  कोई  साथ   किसी  के नही चलता
रिश्ता  कोई  भी  देर तक  नहीं  अब  तो  संभलता

 हम   स्पेशल  हैं   तभी तक ही  किसी  के  वास्ते
दूसरा  बेहतर उसे जब तक नहीं मिलता

गेंदा  भी इतरा  के बालो में लगा लेती है हूर
गुलाब कहीं  से उसे  जब तक नहीं  मिलता

 क्यों  दिखाता फिर  रहा   सब  को अपना चाक दामन
 देख कर  हंस लेंगे  सब  , कोई  नहीं  सिलता  

उलझे धागे की तरह खुद में ही उलझे है लोग
 कभी गाँठ नही  खुलती  कभी  सिरा नहीं  मिलता

काम  क्या आएगा  किसीके    वो  शख्स  तू  बता
अपनी ही उलझनों से   वक्त  जिसको नहीं मिलता

अच्छा तो लगता  है चाँद  पर दूरी के अहसास से
हिम्मत भी नही होती दिल भी नहीं मचलता

कहने  को जीता मरता है वो शख्स  मेरे वास्ते
मिलने का वक्त भी जिसे  अक्सर नही मिलता     

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