Saturday, January 14, 2017

इस दुनिया में कोई किसी से प्यार नही करता है

अपने लिए ही  जीता  हर कोई अपने लिए ही मरता है
इस दुनिया में कोई  किसी से  प्यार नही   करता है

 हर रिश्ते  की  उम्र  यहाँ पर तय जरूरत करती है
नही जरूरत  रहे तो रिश्ता इक दिन और ना चलता है

उसीसे मन का रिश्ता है उसीसे तन का नाता
जब तक जिसके  बिना  किसीका काम  नही सरता है

रही गर्ज    तो  यहाँ  गधे को  लोग बाप कहते हैं
 वरना अपने बाप स भी  कोई बात  नही करता है

झूठी कसमे झूठे  वादे और नकली व्यवहार सभी का
कहने को  इक दूजे से हर कोई प्यार बहुत करता है

हाथ पकड़ के चलने वाले हाथ छुड़ा के  चले गए
अपनी छड़ी के सिवा सहारा  कोई नही बनता  है

प्यार का दावा करने वाले वक्त है नींद से जाग ज़रा
सपना कितना भी लम्बा हो नही हकीकत बनता है

      

2 comments:

pqrs said...

very nice...

Krishan lal "krishan" said...

thanks for appreciating the poem