Saturday, January 14, 2017

शायद हमें किसीसे मोहब्बत नहीं रही

शिकवा रहा ना कोई  शिकायत नही रही
 शायद हमें किसीसे  मोहब्बत  नहीं  रही

अच्छा हुआ  कुछ बोझ  अहसानो का कम हुआ
अब दोस्तों की हम पे  इनायत  नही रही

अच्छा हो ये ना पूछो  कि  तुम   लगते  हो कैसे  
हमें झूठ बोलने  की अब आदत नहीं  रही

चलने को साथ तेरे मै  चलता  तेरी  तरह
पर बेवफाई मेरी कभी    फितरत  नही रही

आज का सच कल  का झूठ परसों का है भरम
सच   झूठ जानने की अब  चाहत नही रही   

बेहतर  हो  तुम मेरे सिवा  किसी और को चाहे
चाहे हमे   कोई  ये अब  चाहत  नही रही

पहलू से जो उठते ना थे अब उनकी भी सुन लो
पहलू  में आके बैठे    उन्हें  फुरसत  नही रही
  

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