अर्थहीन सी लगने लगी है मुझ को हर एक बात
चाहे कोई अपना ले या छोड़ दे मेरा साथ
किसे कहूँ दुनिया में अपना किसे पराया मानु
रिश्ता दोनों का है जब तक सिद्ध होता है स्वार्थ
तेज दिमाग से काम ले रहे तेज छुरी के जैसा
स्वार्थ की हर एक शख्स लगा कर बैठा हुआ है घात
बीज तो अक्सर बोये पर फसल नसीब में नही रही
जमीन कभी बंजर निकली कभी हुई नही बरसात
फ़ायदा और नुक्सान की गिनती कितनी ज्यादा सीख गए
ख़त्म हो गयी प्यार मोहब्बत , ख़तम हुए जज्बात
रिश्तों को जीने की जगह शतरंज का दर्जा दे डाला
चाल पे चाल लगे चलने, किसीको शह दी किसीको मात
बेवफाई हो जिनकी फितरत उन्हें बदलना है हर हाल
और बहाना होता है अक्सर कि बदल गए हालात
चाहे कोई अपना ले या छोड़ दे मेरा साथ
किसे कहूँ दुनिया में अपना किसे पराया मानु
रिश्ता दोनों का है जब तक सिद्ध होता है स्वार्थ
तेज दिमाग से काम ले रहे तेज छुरी के जैसा
स्वार्थ की हर एक शख्स लगा कर बैठा हुआ है घात
बीज तो अक्सर बोये पर फसल नसीब में नही रही
जमीन कभी बंजर निकली कभी हुई नही बरसात
फ़ायदा और नुक्सान की गिनती कितनी ज्यादा सीख गए
ख़त्म हो गयी प्यार मोहब्बत , ख़तम हुए जज्बात
रिश्तों को जीने की जगह शतरंज का दर्जा दे डाला
चाल पे चाल लगे चलने, किसीको शह दी किसीको मात
बेवफाई हो जिनकी फितरत उन्हें बदलना है हर हाल
और बहाना होता है अक्सर कि बदल गए हालात
No comments:
Post a Comment