प्यासे की ओक पे रुक रुक कर कतरा कतरा पानी डाला
प्यास बुझाने से ज्यादा इरादा है तेरा तड़पाने का
जूठा होने के डर से अगर होंठो तक भी आ ना सके
ना मय पीने के काम आये तो काम है क्या पैमाने का
आज नही तो कल तुझको महसूस ये होना है आखिर
ग़म होता है सिर्फ काम की चीजों के खो जाने का
अपना रिश्ता टूटने की कगार पे आखिर आ पहुंचा
काश कुछ जोर लगाया होता तूने इसे बचाने का
कागज़ की कश्ती ए दोस्त ज्यादा देर नही चलती
लाख तजुर्बा हो तुझको भले ऎसी कश्ती चलाने का
ये संस्कारो की मैली चादर , ये पाप पुण्य के आडंबर
क्या फायदा होना है इन को ओढ़ मेरे पास आने का
अमल तुझे करना ही नही तो बात बनेगी कोई कैसे
खाना ही नही तो हासिल क्या गुड़ गुड़ जपते जाने का
प्यास बुझाने से ज्यादा इरादा है तेरा तड़पाने का
जूठा होने के डर से अगर होंठो तक भी आ ना सके
ना मय पीने के काम आये तो काम है क्या पैमाने का
आज नही तो कल तुझको महसूस ये होना है आखिर
ग़म होता है सिर्फ काम की चीजों के खो जाने का
अपना रिश्ता टूटने की कगार पे आखिर आ पहुंचा
काश कुछ जोर लगाया होता तूने इसे बचाने का
कागज़ की कश्ती ए दोस्त ज्यादा देर नही चलती
लाख तजुर्बा हो तुझको भले ऎसी कश्ती चलाने का
ये संस्कारो की मैली चादर , ये पाप पुण्य के आडंबर
क्या फायदा होना है इन को ओढ़ मेरे पास आने का
अमल तुझे करना ही नही तो बात बनेगी कोई कैसे
खाना ही नही तो हासिल क्या गुड़ गुड़ जपते जाने का
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