तुझ से ही उम्मीद थी और तू भी हमको छोड़ गयी
इक आखरी उम्मीद थी वो भी अब दम तोड़ गयी
मंज़िलो पे पहुंचना तो दूर तक की बात थी
तू तो पहले मोड़ पे ही अपना रास्ता मोड़ गयी
प्यार में मज़बूरियां किसको न थी और कब ना थी
मजबूरियों के नाम पर फिर तू क्यों दिल मेरा तोड़ गयी
रिश्ते बनाना तोड़ना तो कोई तुम से सीख ले
किस से था रिश्ता जोड़ना और किस से रिश्ता जोड़ गयी
हम तो नाहक ही तेरी किस्मत सवांरते रहे
तू है कि किस्मत मेरी अपने हाथो फोड़ गयी
5 comments:
बहुत दिनों से नयी कविता के इंतज़ार में
अद्भुत है आप की कविताये
sir aapse milna hai plz call 8130721728
Waiting for new poems.
..Ram Avtar
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..Ram Avtar
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