Monday, July 24, 2017

नहीं उड़ते परिंदे जिनको पिंजरे का मज़ा चाहिए

 बुलन्दी  आसमां  की छूना कोई मुश्किल  नही होता
बस नज़र आसमा  पर और ज़मीं पर घोंसला  चाहिए

तुझे उड़ान भरने से कहाँ कोई  रोक सकता है
बस थोड़े पर फैलाने है और थोड़ा होंसला चाहिए

अगर  उड़ने की चाहत है तो फिर इतना समझ लीजे
हर पिंजरा  छोड़ना होगा  अगर आसमां  खुला चाहिए

परिंदा  सोच से उड़ता है  या फिर हिम्मत से उड़ता है
नहीं उड़ते परिंदे जिनको पिंजरे का मज़ा चाहिए

बिना कुर्बानियों  के कुछ नहीं होता यहाँ हासिल
कुछ खोने को  भी रह तैयार अगर पाने को कुछ चाहिए

अगर ये जुर्म है कि  तुम से मै  क्यों  प्यार कर बैठा
तो फिर इस जुर्म की मिलनी मुझे कोई  सजा चाहिए 


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