Sunday, December 6, 2009

किस कद्र तकलीफ दी है जिन्दगी तूने मुझे

अब तो तेरे नाम से होने लगी नफरत मुझे

पहले तेरे बिन कभी कोई मुझे भाता न था

अब तुझ से दूर जाने की होने लगी चाहत मुझे

आज तेरी नजरो में मेरी कोई कीमत नहीं

कल बहुत महसूस होगी मेरी जरूरत तुझे

पर मुझे अफसोस है तब मई ना लौट पाऊंगा

सौत की बाहों में जो इक बार चला जाऊंगा

तुमने तो ठुकरा दिया तनहा किया भुला दिया

पर देख लेना वो मुझे हरगिज नहीं ठुकराएगी

तुमने साथ ना दिया तो ना सही मर्जी तेरी

सौत तेरी बावफा है साथ लेकर जायेगी

सौतन के इन्तजार की तारीफ कर सके तो कर

जिस भी पल tuu छोड़ देगी वो मुझे apanaayegii

छीनने की उसने कोशिश इसलिए ही की नहीं

जानती थी एक दिन तूं खुद उसे दे जायेगी

सौत तेरी हो तो हो pr मेरी महबूबा है वो

मैं खुशी से चल प्दुम्गा जब वो लेने आयेगी

दर्द तन्हाई का शायद का तब तुझे महसूस हो

मई चला जौउगा जब और तनहा टू रह जायेगी

टू सात फेरे में भी अपना बन सकी ना बना सकी

वो एक फेरे में ही मेरी jaan tak le जायेगी

maut मेरी सौत तेरी बन के जब aa जायेगी

देख लेना उस घड़ी तूं बहुत पछताएगी

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

maut मेरी सौत तेरी बन के जब aa जायेगी
देख लेना उस घड़ी तूं बहुत पछताएगी..

बहुत ही अच्छी रचना ..... सभी शेर बहुत अच्छे हैं .........