चाहो तो, बुझा दो तुम, चिराग सब जलते हुये
हमने देखा है , नये सूरज को निकलते हुये॥
अब बता, कहाँ जायेगा, दरवाजा हर इक बन्द है।
कुछ तो सोचा होता, अपने घर से निकलते हुये॥
ये हादसो का शहर है, तो होके रहेगा हादसा
लाख तुम रखना कदम, एक एक संभलते हुये
राहों मे ,कान्टे हटा ,किसी राह को आसान कर
गुजरना क्या गुलशन से हर इक फूल मसलते हुये
इस शहर में,शीशे का घर,ये भूल ना करना कभी
इस शहर मे दिखते हैं अक्सर ,पत्थर उछलते हुये
खून उस अरमाँ का, होते देखूँ , ये मुमकिन नहीं
जिसे दिल के पालने मे, देखा बच्चे सा पलते हुये
अब नहीं कहते कभी, किसी यार को हम बेवफा
बस साथ शीशा रखता हूँ इस राह मे चलते हुये
गिरगिट पे रंग बदलने का, इल्जाम ना आता कभी
देखते इन्सां को गर, मौका बेमौका, रंग बदलते हुये
क्या वफा क्या दोस्ती क्या प्यार क्या है अपनापन
मौसम के साथ देखे , सबके मायने बदलते हुये
हमने देखा है , नये सूरज को निकलते हुये॥
अब बता, कहाँ जायेगा, दरवाजा हर इक बन्द है।
कुछ तो सोचा होता, अपने घर से निकलते हुये॥
ये हादसो का शहर है, तो होके रहेगा हादसा
लाख तुम रखना कदम, एक एक संभलते हुये
राहों मे ,कान्टे हटा ,किसी राह को आसान कर
गुजरना क्या गुलशन से हर इक फूल मसलते हुये
इस शहर में,शीशे का घर,ये भूल ना करना कभी
इस शहर मे दिखते हैं अक्सर ,पत्थर उछलते हुये
खून उस अरमाँ का, होते देखूँ , ये मुमकिन नहीं
जिसे दिल के पालने मे, देखा बच्चे सा पलते हुये
अब नहीं कहते कभी, किसी यार को हम बेवफा
बस साथ शीशा रखता हूँ इस राह मे चलते हुये
गिरगिट पे रंग बदलने का, इल्जाम ना आता कभी
देखते इन्सां को गर, मौका बेमौका, रंग बदलते हुये
क्या वफा क्या दोस्ती क्या प्यार क्या है अपनापन
मौसम के साथ देखे , सबके मायने बदलते हुये
4 comments:
बहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
क्या वफा क्या दोस्ती क्या प्यार क्या है अपनापन
मौसम के साथ देखे हैं, सबके मायने बदलते हुये
इस शहर में,शीशे का घर,ये भूल ना करना कभी
इस शहर मे दिखते हैं अक्सर ,पत्थर उछलते हुये
bahut kaha klal sirji,aaj ke shahar patthar ke nagar hi ban gaye hai
अब बता, कहाँ जायेगा, दरवाजा हर इक बन्द है।
कुछ तो सोचा होता, अपने घर से निकलते हुये॥
kya sher hai ..
prama jit ji, tarun ji,aur mehek ji,
Many many thanks for appreciating the ghazal.
Just three four days back I had posted one poem 'Sach maano Duryodhan nahi mara' If you could find the time please read it and offer your comments. It was altogether a different kind of poem I attempted.
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