दिल की नाजुक रगें तक लगें टूटने
याद इतना भी क्यों कोई आये हमें
चैन दिन मे नहीं नींद रातों से गुम
इस तरह से कोई क्यों सताये हमें
वो लगायेंगे मरहम,तसल्ली तो दें
फिर भले जख्म रोज देते जायें हमें
प्यार उनसे किया जुर्म हमसे हुआ
फिर सजा से कोई क्या बचाये हमे
प्यार ही दर्द है तो ये भी मंजूर है
कोई दर्द-ए-दवा ना पिलाये हमें
उनकी राहों से चुनने है काँटे अभी
कोई फूलों की राह ना दिखाये हमे
ये है कैसी गजल जिसके हर लफ्ज में
यार का अक्स ही, नजर आये हमें
रोज सपनों में आने से क्या फायदा
कोई सपना तो सचकर दिखायें हमें
याद इतना भी क्यों कोई आये हमें
चैन दिन मे नहीं नींद रातों से गुम
इस तरह से कोई क्यों सताये हमें
वो लगायेंगे मरहम,तसल्ली तो दें
फिर भले जख्म रोज देते जायें हमें
प्यार उनसे किया जुर्म हमसे हुआ
फिर सजा से कोई क्या बचाये हमे
प्यार ही दर्द है तो ये भी मंजूर है
कोई दर्द-ए-दवा ना पिलाये हमें
उनकी राहों से चुनने है काँटे अभी
कोई फूलों की राह ना दिखाये हमे
ये है कैसी गजल जिसके हर लफ्ज में
यार का अक्स ही, नजर आये हमें
रोज सपनों में आने से क्या फायदा
कोई सपना तो सचकर दिखायें हमें
14 comments:
परछाईं उस रात की जलाये हमें
अल्लाह उनसे कोई मिलाये हमें
ग़ज़ल के रिवाज़ निभाना ज़रूरी नहीं, फिर एक तोहफ़ा समझकर रख लें...
आपकी ग़ज़ल कमाल की है...
विनय जी बहुत बहुत शुक्रिया गजल की प्रशंसा के लिये।
ब्लाग पर आते रहिये कोशिश करुगा अच्छी गजले प्रस्तुत करूँ
बहुत बेहतरीन गजल है।क्या खूब लिखा है-
रोज सपनों में आने से क्या फायदा
कोई सपना तो सचकर दिखायें हमें
दिल की नाजुक रगें तक लगें टूटने
याद इतना भी कोई ना आये हमें
आपकी गजल का मतला एक बेहतरीन फ़िल्मी गीत से लिया/प्रभावित सा लगता है । गीत है:
आज सोचा तो आँसू भर आये,
मुद्दतें हो गयीं मुस्कुराये ....
दिल की नाजुक रगें टूटती हैं
याद इतना भी कोई न आये ।
आज सोचा तो आँसू भर आये ।
परमजीत बाली जी ,
गजल की खुले दिल से प्रशंसा करने के लिये आप का धन्य्वाद्।
कृप्या ब्लाग पर आके हौसला बढ़ाते रहिये
नीरज जी,
शाय्द आप ठीक कह रहें हैं कही ना कहीं अच्छे शब्द अन्त:मन में गून्जते रह्ते है और कभी क्भी ज्यादा प्रभावित करते हैं या करते प्रतीत होते है
बाकि शेरो पर आपने कुछ नहीं कहा उन पर भी आप्के कामेन्टस चाहुगा धन्यवाद
आपकी गजल के बाकी शेर तो लाजवाब हैं,
मेरी पिछली टिप्पणी का मकसद आपकी आलोचना करना नहीं था, मुझे खुशी है की आपने भी मेरी टिप्पणी को उसी संदर्भ में लिया |
प्यार उनसे किया जुर्म हमसे हुआ
अब सजा से कोई क्या बचाये हमे
प्यार ही दर्द है तो ये भी मंजूर है
कोई दर्द-ए-दवा ना पिलाये हमें
इन पंक्तियों ने तो मन मोह लिया है | अब आपके चिट्ठे पर नजर रहेगी, इतनी अच्छी रचनायें जो पढ़ने को मिलने की संभावनाएं हैं |
iदिल की नाजुक रगें तक लगें टूटने
याद इतना भी कोई ना आये हमें
vah
कचन जी,
आपकी एक'वाह'ने सब कह दिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
नीरज जी,
आपकी टिप्पणी को अन्यथा लेने का प्रश्न ही नहीं है मै तो पूरे जीवन को ही सहज लेता हूँ फिर ये तो एक अच्छे पाठक द्वारा की गयी तिप्पणी थी।
मै इसे अपना सौभग्य मानता हूँ कि आप जैसे पाठक मेरे ब्लाग पर आये और अपने विचार व्यक्त किये । मै तहे दिल से आप का आभारी हूँ ।
कभी वक्त मिले तो मेरी पिछली रचनाये पढ़ना आशा ही नही विश्वास है कि आपको कुछ तो पसन्द आयेगी ही।
पुन: धन्य्वाद
बहुत सुन्दर ।
घुघूती बासूती
घुघूती बासूती जी,
गज़ल पसन्द करने के लिये आप का बहुत बहुत शुक्रिया।
किसी खास शेर पर कोई टिप्पणी करते तो बेहतर होता । पाठको की रुचि को समझने मे मदद मिलती है। ब्लाग पर आते रहिये।
पुन: धन्यवाद
सुन्दर गज़ल.........
षुक्रिया अनुराधा श्रीवास्तव जी । आपको गज़ल अच्छी लगी जान कर अच्छा लगा। कृप्या ब्लाग पर आते रहें । कोशिश करुँगा कि कुछ और बेहतर प्रस्तुत कर सकूँ।
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