मन्जिलों ने छोड दिया राही को मिलना
किस्मत मे राही के सिर्फ तलाश रह गयी
मयखाने मे गये थे बडी शान ओ शौक से
लौटे तो यूँ लगा अधूरी प्यास रह गयी
कान्टे निकालने के बावजूद दर्द है
दिल के किसी कोने मे कोई फान्स रह गयी
रिश्ता कोई उम्मीद के लायक नही रहा
हर रिश्ते से अब सिर्फ झूठी आस रह गयी
वैसे तो ये मरीजे इश्क कब का मर चुका
जिन्दा है क्योकि अटकी कोई सांस रह गयी
आगाज का पता हो और अंजाम भी तय हो
बाकी कहानी फिर तो बस बकवास रह गयी
हर रिश्ते से यकीन जब उठ ही गया तेरा
कहने को बात कौनसी फिर खास रह गयी
आखो मे मेरी क्यों नही आता कोई आंसू
शायद अभी भी तुम से कोई आस रह गयी
किस्मत मे राही के सिर्फ तलाश रह गयी
मयखाने मे गये थे बडी शान ओ शौक से
लौटे तो यूँ लगा अधूरी प्यास रह गयी
कान्टे निकालने के बावजूद दर्द है
दिल के किसी कोने मे कोई फान्स रह गयी
रिश्ता कोई उम्मीद के लायक नही रहा
हर रिश्ते से अब सिर्फ झूठी आस रह गयी
वैसे तो ये मरीजे इश्क कब का मर चुका
जिन्दा है क्योकि अटकी कोई सांस रह गयी
आगाज का पता हो और अंजाम भी तय हो
बाकी कहानी फिर तो बस बकवास रह गयी
हर रिश्ते से यकीन जब उठ ही गया तेरा
कहने को बात कौनसी फिर खास रह गयी
आखो मे मेरी क्यों नही आता कोई आंसू
शायद अभी भी तुम से कोई आस रह गयी
10 comments:
Waah !! Bahut hi sundar gazal likhi aapne...har sher kabile tareef hai.
bahut achha
bahut umda
bahut sundar
kya baat hai
khoob soorat ghazal k liye badhai!!!!
बहुत बढिया ! बहुत बेहतरीन गज़ल लिखी है। बधाई स्वीकारें।
बहुत खूब लिखा है आपने। वाह। जरा इसी खानदान की तुकबंदी देखें-
काँटे से काँटा निकाला दर्द दोनों में मगर।
इक मेहरबां, दूसरे की शहादत पास रह गयी।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
Ranjna ji
kabhi kabhi asli jindgi me kuchh aisaa ho jaataa jo ham jaise se aisi gazal likhi jaati hai jiski tareef aap jaise parbudh log kare.
Bahut bahut dhanywad
Khatri ji
yakeen maniye meri ghazal se achhi aap kii tareef ka andaaj hai . Aap ka tahedil se shukriya.
Paramjit ji
shukriya bahut bahut aap hameshaa kii tarah honslaa badhate rahte hain, Aap kaa bahut bahut dhanyawaad.
Shyamal ji
bahut bahut shukriya aapka blog par aane ke liye aur protsahan dene ke liye
हर रिश्ते में एक आस बाकि रह गई....बस इसी एक आस के सहारे ही तो उम्मीद बनी रहती है...
Rajnish ji sahi kahaa hai aapne. Par jara sochiyega kyaa hum sab kisi naa kisi jhuthi aas ke sahare nahi jee rahe aur agar haan to kya yahi jaruri hai.
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