अह्सास ही जब मर गया रिश्ते मे बाकी क्या बचा
खोखला रिश्ता उम्र भर चलना क्या ना चलना क्या
सारा सफर तन्हा कटा तो खत्म होते सफर मे
रात का अन्धेरा ही निगल गया जिस शख्स को
उसके लिये सू्रज सुबह निकलना ना निकलना क्या
कहने को डूबते को तिनके का सहारा है बहुत
दरअसल इतना सहारा मिलना या ना मिलना क्या
मरीज ए इश्क चल बसा तो हुस्न बेपर्दा हुआ
हुस्न का यूँ बेनकाब निकलना ना निकलना क्या
खोखला रिश्ता उम्र भर चलना क्या ना चलना क्या
सारा सफर तन्हा कटा तो खत्म होते सफर मे
तूं बता हमसफर का मिलना क्या ना मिलना क्या
रात का अन्धेरा ही निगल गया जिस शख्स को
उसके लिये सू्रज सुबह निकलना ना निकलना क्या
कहने को डूबते को तिनके का सहारा है बहुत
दरअसल इतना सहारा मिलना या ना मिलना क्या
मरीज ए इश्क चल बसा तो हुस्न बेपर्दा हुआ
हुस्न का यूँ बेनकाब निकलना ना निकलना क्या
1 comment:
बहुत ही दुखद है जब पुरा सफर तन्हा कटा हो तो तो अंत मे किसी का इंतजार नही रहता........क्योकि ख्वाहिशे मर जाती है .............कोई चाह्त शे ष नही रहता होगा ....................शुभकामनाये.
Post a Comment