Monday, January 18, 2010

तुम चाहो तो कह सकती हो मुझे है तुम से प्यार

तुम चाहो तो ये समझो कि गया मै तुम से हार
तुम चाहो तो मान लो ये कि मुझे है तुम से प्यार
और अगर चाहो तो समझो तुम बिन रह नही सकता
 जो चाहो वो समझो लेकिन मै कुछ कह नहीं सकता

 हाँ इतना कहूगा और नही अब कर सकता इन्तजार
 तुम चाहो तो मान लो ये कि मुझे है तुम से प्यार

ना जीवन में रस है कोई ना ही कोई मज़ा है
ऐसे लगता है कि तुम बिन जीना एक सजा है

 सच तो ये है घर तुझ बिन खाली खाली लगता है
जैसे कोई गुलशन उजड़ा पतझड़ में दिखता है

इक तेरे आने से ही आ जायेगी फिर से बहार
तुम चाहो तो मान लो बेशक मुझे है तुम से प्यार

 रात कोई कटती है कैसे बदल बदल के करवट
 खुद ही बयां करेगी तुमसे बिस्तर की हर सिलवट

 याद तुम्हे करते करते कभी आँख अगर लग जाती
 सपनों में तुम आ जाती हो रात थोड़ी कट जाती

इसीलिए बस रात का मुझ को रहता है इन्तजार
तुम चाहो तो कह सकती हो मुझे है तुम से प्यार

1 comment:

Bhawna Kukreti said...

:) ........achhi prastuti