Tuesday, April 19, 2011

पर ऐसा कुछ भी क्या बनना पड़े प्यार ही जिसमे दफनाना

मुसीबत ना बनो आफत ना बनो ना खतरा बनो कोई अनजाना
 इस तरह प्यार नहीं निभता अपना भी नही है निभ पाना मोहब्बत तो बनो चाहत भी बनो कभी शमा बनो कभी परवाना पर ऐसा कुछ भी क्या बनना पड़े प्यार ही जिसमे दफनाना

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