Tuesday, April 2, 2013

जिसे तुम प्यार कहते हो हम अत्याचार कहते हैं

ख़ुशी पाने क चक्कर में गवां दी हर ख़ुशी हमने
हम  कैसे लोग  हैं जो खुद को समझदार  कहते  हैं

किसी का साँस तक लेना भी जिसमे हो जाए  दूभर
क्यों  चाहने वाले इस चाहत को ही अब  प्यार कहते हैं

सिवा उनके  किसीका नाम जो लब पर मेरे आया
मुझे  दुनिया का   नम्बर वन वो गुनाहगार कहते हैं

 हिफाजत इस तरह सैयाद से की उसने गुलशन की
 किया बर्बाद  गुलशन यूँ जिसे अब  उजाड़  कहते हैं

ए मेरे चाहने वालो जरा सी मेरी भी सुन लो
जिसे तुम प्यार कहते हो हम अत्याचार कहते हैं  

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