Wednesday, December 11, 2013

तुम्ही कहो क्या प्यार तुम्हारा मुझ पर अत्याचार नही

सच मानो ये  ऐसा नहीं कि मुझको तुझसे प्यार नहीं
हाँ लेकिन ये सच है  कि बंधन मुझको स्वीकार नही

तुम को देखूँ तुमको चाहूं और तुम्ही से बात करूँ
पास ना  आये दूजा मै  पैदा ऐसे हालात करूँ

चाहूं तुमको ऐसे  जैसे   प्यासा चाहे पानी
पर पानी के सहारे केवल  कटे कहाँ जिंदगानी

प्यार तुम्हे करता हूँ जैसे खुदा को बन्दा चाहे 
खुद को  मिटा पर  कौन खुदा के पास है जाना चाहे

तेरी खुशी  का ध्यान रखूँ  है जिम्मेवारी मेरी
खुद को भी  खुश रखूं लेकिन ये मेरा अधिकार  नही

तुम्ही कहो क्या प्यार तुम्हारा मुझ पर अत्याचार नही
चाहो तो कह सकते हो अच्छे मेरे  संस्कार नही

जो चाहो कह लो लेकिन बंधन मुझ को स्वीकार नही





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