जीना भी हादसा, यहां, मरना भी हादसा
जो कुछ भी हो रहा यहाँ, सब कुछ है हादसा
इक हादसे से ही जन्म, तेरा मेरा हुआ
मर जायेंगें, जब और कोई होगा हादसा
तेरे मेरे वज़ूद की करता है बात क्या
दुनियाँ आई वज़ूद में, वो भी था हादसा
कोई हादसा हुआ तो तब जाकर पता चला
रुख़ ज़िन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा
कुछ पा लिया तो अपने को काबिल समझ लिया
कुछ खो गया तो दोषी मुकद्दर बता दिया
क्यों मानता नहीं कि हैं दोनों ही हादसा
खोना जो हादसा है तो पाना भी हादसा
ना कोई वफादार है, ना कोई बेवफा
जो कुछ हुआ, हालात का था तय किया हुआ
निभानी पड़े वफा, तो सब वफा के हैं खुदा
सच तो है बेवफाई का मौका कहाँ मिला मौका मिला
, वफा का मुखौटा उतर गया चल पड़ा
फिर बेवफाईयों का सिलसिला
है बेवफाई और वफा दोनों ही हादसा
रुख जिन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा
जो कुछ भी हो रहा यहाँ, सब कुछ है हादसा
इक हादसे से ही जन्म, तेरा मेरा हुआ
मर जायेंगें, जब और कोई होगा हादसा
तेरे मेरे वज़ूद की करता है बात क्या
दुनियाँ आई वज़ूद में, वो भी था हादसा
कोई हादसा हुआ तो तब जाकर पता चला
रुख़ ज़िन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा
कुछ पा लिया तो अपने को काबिल समझ लिया
कुछ खो गया तो दोषी मुकद्दर बता दिया
क्यों मानता नहीं कि हैं दोनों ही हादसा
खोना जो हादसा है तो पाना भी हादसा
ना कोई वफादार है, ना कोई बेवफा
जो कुछ हुआ, हालात का था तय किया हुआ
निभानी पड़े वफा, तो सब वफा के हैं खुदा
सच तो है बेवफाई का मौका कहाँ मिला मौका मिला
, वफा का मुखौटा उतर गया चल पड़ा
फिर बेवफाईयों का सिलसिला
है बेवफाई और वफा दोनों ही हादसा
रुख जिन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा
13 comments:
कुछ पा लिया तो अपने को काबिल समझ लिया
कुछ खो गया तो दोषी मुकद्दर बता दिया
वाह !वाह !
बहुत ही बढ़िया!
मुकर्रर !
कृशन जी,
कोई हादसा हुआ तो तब जाकर पता चला
रुख़ ज़िन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा
वाह...
***राजीव रंजन प्रसाद
अल्पना वर्मा जी,
आपकी इस दिल खोल कर की गयी प्रशंसा के लिये मै हृदय से आभारी हुँ
आपको ये लाइने पसन्द आयी मेरा प्रयास सफल हुआ।
आपका पुन: धन्यवाद । यदि मुझे गलत फहमी नही हो रही तो आपके बलाग पर मैने आप को गाते सुना था कृप्या इस कनफरम करे तो मुझे इस बारे मे आप से विस्तार से बात करनी है वो भी अगर आप की इजाजत हो तो ।
राजीव रंजन प्रसाद जी,
सबसे पहले आप का मेरे इस ब्लाग पर हृदय से स्वागत है
इस शेर को पसन्द करने के लिये आपका शुक्रिया
निभानी पड़े वफा, तो सब वफा के हैं खुदा
सच तो है बेवफाई का मौका कहाँ मिला
ये शेर बहुत तल्ख़ हकीकत है,क्रिशन जी,उर्दू के खूबसूरत लफ्ज़ खुशबू की तरह इस नज्म के फूल को महका रहे हैं.इन्हें इसी तरह महकाए रखिये गा .
RakShanda ji
आप स्वय एक बहुत अच्छी लेखिका है आप के लेखों मे व्यक्ति विशेष से ले कर समाज तक के विभिन्न पहलुओ को उजागर कर दर्पण दिखाने की क्षमता है
आप जैसे प्रबुद्ध पाठक से जब कोई उत्साहवर्धक टिप्प्णी मिलती है तो अनायास ही मन खुश हो उठता है ये खुशी प्रदान करने के लिये आप का बहुत बहुत शुक्रिया
आप मेरे बलाग पर आते रहेंगें तो लफजों में ही नही भाव मे भी खुशबू बनी रहेगी ऐसा मेरा मानना है । बाकी जैसा आपको उचित लगे।
किशन जी
बहुत उम्दा लिखा है आप ने. बधाई.
नीरज
कुछ पा लिया तो अपने को काबिल समझ लिया
कुछ खो गया तो दोषी मुकद्दर बता दिया..
वाह, अतिसुन्दर! क्या बात कह दी आपने इन लाइनों में !
abhishek ji
aapne meri is rachana ki jo kule dil se tareeph ki uskaa bahut bahut shukriya. aashaa hai aap isi tarah apanaa saneh banaye rakhenge
Neeraj ji ,
aapako rachanaa pasand aayee to samjho mujhe paas marks to mil hi gaye. tareeph ke liye bahut bahut shukriyaa.
वाह जी वाह!! बहुत उम्दा गजल बन पड़ी है. बधाई स्वीकारें.
Udan Tashtari ji
ghazal ko pasand karne ke liye aap ka bahut bahut shukriya.
Agar aap apanaa sahi naam bataanaa uchit samajhe to kripya bataayen baat karne me ya address karane me achchhaa lagega
जी, मेरा नाम समीर लाल है. शायद आप कभी मेरे ब्लॉग पर नहीं आये उड़न तश्तरी को क्लिक करके-अगर कभी समय मिले और उचित समझें तो मेरे ब्लॉग पर आयें. नाम वहाँ भी लिखा है.
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