Thursday, June 26, 2008

जब तक दुर्योधन जिन्दा है तूँ लडे बिना नहीं रह सकता

ये जीवन इक समझौता है, हर रोज मुझे समझाते हो
 सच कहो तो कितने समझौते तुम खुशीखुशी कर पाते हो
 जो टीस सी दिल मे छोड़ जाये वो समर्पण है समझौता नहीं
जो चाहे नाम दो तुम इसको मुझसे तो ये सब होता नहीं
 ये जीवन है शतरंज नही यहाँ नही बराबर छूटोगे
यहाँ समझौता मुमकिन ही नहीं य हारोगे या जीतोगे
 जीत भी सच है हार भी सच है झूठ सिर्फ समझौता है
आँखे मूंदना घुटने टेकना क्या ये समझौता होता है
 जीवन है महासंग्राम यहाँ हर मोड़ पे जंग है छिड़ी हुई
लड़ना ही तेरी नियति है तुझे समझोते की क्या पड़ी हुई
 समझौते की बाते तो है सिर्फ निराशावादी करते
युद्ध शुरु होने से पहले हार को जो स्वीकार है करते
 आशा वाद तो लड़ना है जब तक जीत नही वरते
 वो क्या बाजी जीतेगे जो सदा हार से रहे है डरते
 वो लोग जो बातो बातो मे समझौता करते फिरते हैं
या तो वो हारे होते है या फिर वो हार से डरते हैं
 जब तक दुर्योधन जिन्दा है तूँ लडे बिना नही रह सकता
 इसे धर्मयुद्ध ही मान के लड़ गर हार जीत नही सह सकता

4 comments:

Advocate Rashmi saurana said...

आशा वाद तो लड़ना है जब तक जीत नही वरते
वो क्या बाजी जीतेगे जो सदा हार से रहे है डरते
aaki ye paktiya aashavadi hai.bhut khub.likhate rhe.

Advocate Rashmi saurana said...

आशा वाद तो लड़ना है जब तक जीत नही वरते
वो क्या बाजी जीतेगे जो सदा हार से रहे है डरते
bhut aashavadi paktiya.likhate rhe.

Krishan lal "krishan" said...

Rashmi Saurana ji
Aapka hridya se swagat hai mere is blog par. Aapko rachna pasand aayii bahut bahut dhanyvaad.
Aap kisi adalat me advocate hain ya kisi consultancy me hain? I may need your help.

कामोद Kaamod said...

ये जीवन इक समझौता है, हर रोज मुझे समझाते हो
सच कहो तो कितने समझौते तुम खुशीखुशी कर पाते हो

सही बात कही है आप्ने