चान्द बोला मुझसा सुन्दर है कोई दूजा बता
मुझसे मिलती है धरा को चान्दनी जैसी छटा
तारे बोले हमसा सुन्दर है कहाँ कोई दूसरा
तारों भरे आकाश से सुन्दर नजारा और क्या
फूल बोले हम हैं सुन्दर हम से महका से ये जहाँ
बोला गुलाब मुझसा रंग रूप ढूंढ के तो ला
मेरा मन तब कल्पना की वो उडान भर गया
चान्द से भी सुन्दर चेहरे का तसुव्वर कर गया
गुलाब से भी शोख रंग रूप उसका सोच डाला
आँखे गहरी झील सी जो उतरा बस उतर गया
नयना कजरारे मिले तो इतने कजरारे मिले
नयनों में काजल लगा तो और काला पड गया
जुल्फें इतनी रेशमी ढूंढी कि सर पे जब कभी
डाला दुपटटा बाद मे पहले नीचे सरक गया
माथे पे बिन्दी की जगह उगता सूरज धर दिया
होठों को दी मिठास यूं जिसने चखा वो तर गया
देखते ही देखते लाजवाब सूरत बन गयी
चेहरे पे नूर इतना कि सूरज भी फीका पड गया
इस इरादे से कि हर शै से वो सुन्दर बने
सारे जहाँ की सुन्दरता इक चेहरे में ही भर गया
मैं तो अपनी सोच में कुछ और था बना रहा
मुझ को क्या खबर थी तेरा अक्स है उभर रहा
बस अब धडकने के लिये इक दिल की ही तलाश थी
उस जगह पे मैने अपने दिल का टुकडा धर दिया
देख के सूरत तेरी चान्द भी शरमा गया
और गुलाब के भी माथे पर पसीना आ गया
रंग रूप देख तेरा मेनका घबरा गयी
स्वर्ग की ये अप्सरा धरती पे कैसे आ गई
बदनसीबी क्या है और होती है खुशनसीबी क्या
देखते ही तुझको मुझे बात समझ आ गई
बदनसीब है वो तू जिससे भी दूर हो गई
खुशनसीब वो है तूँ जिसके भी पास आ गई
मुझसे मिलती है धरा को चान्दनी जैसी छटा
तारे बोले हमसा सुन्दर है कहाँ कोई दूसरा
तारों भरे आकाश से सुन्दर नजारा और क्या
फूल बोले हम हैं सुन्दर हम से महका से ये जहाँ
बोला गुलाब मुझसा रंग रूप ढूंढ के तो ला
मेरा मन तब कल्पना की वो उडान भर गया
चान्द से भी सुन्दर चेहरे का तसुव्वर कर गया
गुलाब से भी शोख रंग रूप उसका सोच डाला
आँखे गहरी झील सी जो उतरा बस उतर गया
नयना कजरारे मिले तो इतने कजरारे मिले
नयनों में काजल लगा तो और काला पड गया
जुल्फें इतनी रेशमी ढूंढी कि सर पे जब कभी
डाला दुपटटा बाद मे पहले नीचे सरक गया
माथे पे बिन्दी की जगह उगता सूरज धर दिया
होठों को दी मिठास यूं जिसने चखा वो तर गया
देखते ही देखते लाजवाब सूरत बन गयी
चेहरे पे नूर इतना कि सूरज भी फीका पड गया
इस इरादे से कि हर शै से वो सुन्दर बने
सारे जहाँ की सुन्दरता इक चेहरे में ही भर गया
मैं तो अपनी सोच में कुछ और था बना रहा
मुझ को क्या खबर थी तेरा अक्स है उभर रहा
बस अब धडकने के लिये इक दिल की ही तलाश थी
उस जगह पे मैने अपने दिल का टुकडा धर दिया
देख के सूरत तेरी चान्द भी शरमा गया
और गुलाब के भी माथे पर पसीना आ गया
रंग रूप देख तेरा मेनका घबरा गयी
स्वर्ग की ये अप्सरा धरती पे कैसे आ गई
बदनसीबी क्या है और होती है खुशनसीबी क्या
देखते ही तुझको मुझे बात समझ आ गई
बदनसीब है वो तू जिससे भी दूर हो गई
खुशनसीब वो है तूँ जिसके भी पास आ गई
7 comments:
चान्द बोला मुझसा सुन्दर है कोई दूजा बता
मुझसे मिलती है धरा को चान्दनी जैसी छटा
तारे बोले हमसा सुन्दर है कहाँ कोई दूसरा
तारों भरे आकाश से सुन्दर नजारा और क्या
बेहतरीन ...
चान्द बोला मुझसा सुन्दर है कोई दूजा बता
मुझसे मिलती है धरा को चान्दनी जैसी छटा
तारे बोले हमसा सुन्दर है कहाँ कोई दूसरा
तारों भरे आकाश से सुन्दर नजारा और क्या
bahut hi sunder
बहुत सुन्दर रचना है।
देख के सूरत तेरी चान्द भी शरमा गया
और गुलाब के भी माथे पर पसीना आ गया
रंग रूप देख तेरा मेनका घबरा गयी
स्वर्ग की ये अप्सरा धरती पे कैसे आ गई
बदनसीबी क्या है और होती है खुशनसीबी क्या
देखते ही तुझको मुझे बात समझ आ गई
बदनसीब है वो तू जिससे भी दूर हो गई
खुशनसीब वो है तूँ जिसके भी पास आ गई
vah bahut sundar.
बहुत बढिया.
Phirdos bhai, Paramjit Bali ji,aur puyare samir bhai aap sab ka bahut bahut shukriya kavita ki tareef ke liye.
Manvinder ji, aur Shobha ji,
aap kaa blog par aane aur kavita ki tareef karne ke liye shukriya.
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