रिम झिम रिम झिम पानी बरसा आया सवन मास प्रिय
हरियाली छा गयी बुझी तप्ती धरती की प्यास प्रिय
कभी तो पानी बरसा जम के प्ड र्ही कभी है फुहार प्रिय
बादल ने ढक लिया सूर्य ना सकेए वो तुझे निहार प्रिय
क्या देख रही तीज के झूले झूल रही उन सखियों को
इन बाहों मे तुम झूलो तो मने तीज त्यौहार प्रिय
वर्षा की बून्दो से देखो भीग गया अंग अंग अपना
तन तो शीतल हुआ मगर अब मन मे लगे अंगार प्रिय
तुम शरमाती सकुचाती सिमटी हुई गीले आंचल मे
ये मौसम और दूरी इतनी ये कैसा है प्यार प्रिय
नील गगन में कारे बाद्ल कोने कोने तक फैले है
देखो क्या रंग लाये तेरे गाये मेघ मल्हार प्रिय
कैसी भी हो ॠतु सुहानी पलक झपकते बीतेगी
मै हूँ तुम हो मौसम है फिर किस का है इन्तजार प्रिय
गोरा बदन और भीगा आंचल चेहरे पे वर्षा की बून्दे
इस से बेहतर क्या होगा किसी युवती का श्रृंगार प्रिय
माना कि तुम मुझ से खफा हो पर खुद पे कुछ रहम करो
वर्षा ॠतु में मिट जाती है वर्षों की तकरार प्रिय
हरियाली छा गयी बुझी तप्ती धरती की प्यास प्रिय
कभी तो पानी बरसा जम के प्ड र्ही कभी है फुहार प्रिय
बादल ने ढक लिया सूर्य ना सकेए वो तुझे निहार प्रिय
क्या देख रही तीज के झूले झूल रही उन सखियों को
इन बाहों मे तुम झूलो तो मने तीज त्यौहार प्रिय
वर्षा की बून्दो से देखो भीग गया अंग अंग अपना
तन तो शीतल हुआ मगर अब मन मे लगे अंगार प्रिय
तुम शरमाती सकुचाती सिमटी हुई गीले आंचल मे
ये मौसम और दूरी इतनी ये कैसा है प्यार प्रिय
नील गगन में कारे बाद्ल कोने कोने तक फैले है
देखो क्या रंग लाये तेरे गाये मेघ मल्हार प्रिय
कैसी भी हो ॠतु सुहानी पलक झपकते बीतेगी
मै हूँ तुम हो मौसम है फिर किस का है इन्तजार प्रिय
गोरा बदन और भीगा आंचल चेहरे पे वर्षा की बून्दे
इस से बेहतर क्या होगा किसी युवती का श्रृंगार प्रिय
माना कि तुम मुझ से खफा हो पर खुद पे कुछ रहम करो
वर्षा ॠतु में मिट जाती है वर्षों की तकरार प्रिय
3 comments:
रिम झिम रिम झिम पानी बरसा आया सवन मास प्रिय
हरियाली छा गयी बुझी तप्ती धरती की प्यास प्रिय
khoobsurat andaaj
सुन्दर बढ़िया
बहुत उम्दा, जनाब! बधाई.
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