सब ने दाम लगा रखे हॆं प्यार किसीसे निभाने के
सबके सब व्यापारी हो गये प्यार रहा ना जमाने में
प्यार किसीका पाकर भी खुशी किसी को कॆसे हो
उम्र गुजर जाती हॆ महंगे प्यार का मोल चुकाने मे
पहले लिख लेते थे गज़ले शेर य नज्मे मिन्टॊ मे
अब तो शब्द नहीं मिलते हॆं शब्दों भरे खज़ाने में
तुमने जो लॊटाया प्यासा तो प्यासा ही मर जाउंगा
सारी दुनिया छोड्के पहुंचा हूं तेरे मयखाने में
भंवरा रस ले उडा फूल का जल मरा शमा पे परवाना
कुछ तो फर्क किया होता भंवरे ऒर परवाने मे
कोई नहीं हॆ अपना मेरी मान किसी को ना आज़मा
उम्र गंवा बॆठेगा सारी इक इक को आज़माने में
कभी ठेस लगी तो पता चलेगा रिश्तों की मज़बूती का
बिना ठेस तो शीशा भी सालॊं चलता हॆ जमाने में
सबके सब व्यापारी हो गये प्यार रहा ना जमाने में
प्यार किसीका पाकर भी खुशी किसी को कॆसे हो
उम्र गुजर जाती हॆ महंगे प्यार का मोल चुकाने मे
पहले लिख लेते थे गज़ले शेर य नज्मे मिन्टॊ मे
अब तो शब्द नहीं मिलते हॆं शब्दों भरे खज़ाने में
तुमने जो लॊटाया प्यासा तो प्यासा ही मर जाउंगा
सारी दुनिया छोड्के पहुंचा हूं तेरे मयखाने में
भंवरा रस ले उडा फूल का जल मरा शमा पे परवाना
कुछ तो फर्क किया होता भंवरे ऒर परवाने मे
कोई नहीं हॆ अपना मेरी मान किसी को ना आज़मा
उम्र गंवा बॆठेगा सारी इक इक को आज़माने में
कभी ठेस लगी तो पता चलेगा रिश्तों की मज़बूती का
बिना ठेस तो शीशा भी सालॊं चलता हॆ जमाने में
1 comment:
सच्चाई को बया करती,बहुत ही बेहतरीन रचना है।बधाई स्वीकारें।
कभी ठेस लगी तो पता चलेगा रिश्तों की मज़बूती का
बिना ठेस तो शीशा भी सालॊं चलता हॆ जमाने में
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