तार तार हो चुका दामन तो उसका सिलना क्या
फर्क दिल मे रख किसीका मिलना क्या ना मिलना क्या
जब गिर गये इतना कि नरक तक भी छोटा पड गया
बन्दे का उसके बाद संभलना क्या ना सभलना क्या
इस तरह गुलशन कभी आबाद होते है भला
दम तोडते पोधे पे कलियों खिलना क्या ना खिलना क्या
कब्र ही अन्जाम है गर हर खवाहिश का मेरी
फिर नयी खवाहिश का मन मे पलना क्या ना पलना क्या
उठ गया है जामो मीना साकी भी जाने को है
महफिल मे अब नादाँ किसीका आना क्या निकलना क्या
जब जानते हो चान्द धरती पर उतर सकता नही
बच्चों की तरह चान्द पा लेने को फिर मचलना क्या
कट गयी जब रात सारी रोशनी के बिन मेरी
अब किसी दीये का यारा बुझना क्या और जलना क्या
फर्क दिल मे रख किसीका मिलना क्या ना मिलना क्या
जब गिर गये इतना कि नरक तक भी छोटा पड गया
बन्दे का उसके बाद संभलना क्या ना सभलना क्या
इस तरह गुलशन कभी आबाद होते है भला
दम तोडते पोधे पे कलियों खिलना क्या ना खिलना क्या
कब्र ही अन्जाम है गर हर खवाहिश का मेरी
फिर नयी खवाहिश का मन मे पलना क्या ना पलना क्या
उठ गया है जामो मीना साकी भी जाने को है
महफिल मे अब नादाँ किसीका आना क्या निकलना क्या
जब जानते हो चान्द धरती पर उतर सकता नही
बच्चों की तरह चान्द पा लेने को फिर मचलना क्या
कट गयी जब रात सारी रोशनी के बिन मेरी
अब किसी दीये का यारा बुझना क्या और जलना क्या
2 comments:
jabardast...
कट गयी जब रात सारी रोशनी के बिन मेरी
अब किसी दीये का यारा बुझना क्या जलना क्या
bdiya hai !
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