Sunday, February 14, 2010

ऐ मेरे खुदा इतना भी ना दे जितनी मेरी औकात नही

सब से सुन्दर फूल है जो इस दुनिया के गुलशन का

अर्थी पे वो आके चढ़े ये तो कोई अच्छी बात नही

वो कोहीनूर का हीरा है किसी ताज पे ही शोभा देगा

फकीर की झोली पड़ा रहे ये तो कोई अच्छी बात नही

रानी महारानी बनने का अधिकार जिसे कुदरत ने दिया

महलों की जगह खंडहर में रहे ये तो कोई अच्छी बात नही

वो परी है तो फिर अपने लिए क्यों नही फरिश्ता ढूँढती है

नाचीज से जोड़ रही रिश्ता ये तो कोई अच्छी बात नही

वो भोर की पहली किरण है तो मैं सांझ का हूँ ढलता सूरज

कुछ पल भी साथ नही मुमकिन ता उम्र दे सकता साथ नही

कोई मेरे यार को समझाओ मेरी वो समझता बात नही

जिस रात की सुबह होती है मै वो किस्मत की रात नही

ऐ मेरे खुदा इतना भी ना दे जितनी मेरी औकात नही

लंगूर के हाथ में हूर लगे ये तो कोई अच्छी बात नही

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