Friday, February 19, 2010

मेरे यार सा सच्चा यार बड़ी किस्मत वालो को मिलता है

तुम बिन रहना मुश्किल ही नही नामुमकिन सा लगता है
 हर पल या तुम संग बीतता है या तेरी याद में कटता है

 किस हद तक दिल में समाये हो  इसका तुमको एहसास नही
 दिल जितनी बार धडकता है तेरे नाम की माला जपता है

सांस तेरी साँसों में मिल कर आती है तो लगता उम्र बढी
वरना  सांस के आने पर भी यूँ लगे जैसे  दम घुटता है

 जिसे मर के स्वर्ग में जाना हो भगवान् की पूजा करता रहे
 जिसे जीते जी चाहिए जन्नत  वो तेरी पूजा करता है

मैं प्यार में यार के कदमों पे सब अर्पण करता जाता हूँ
और  लोग समझते है पागल है जान बूझ कर लुटता है

 कैसे  किसी को समझाऊं समर्पण ना करूं तो फिर क्या करूं
 यार मेरा जब  सच्चे दिल से मुझ पर जान छिड़कता है

क्यों ना अपनी किस्मत पे बतलाओ  मै नाज करूं 
मेरे यार सा यार बड़ी किस्मत वालों को मिलता है

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं...भाव पूर्ण रचना है।बधाई।