Monday, March 1, 2010

ख़्वाब टूट जाने का गम यारा बहुत बुरा होता है

संभल संभल के अनजानी राहों में चलना होता है
लौट के वापिस आ पाना वरना मुश्किल सा  होता है

पूरा कर सकते ही नहीं वो ख़्वाब किसीको मत दिखला
ख़्वाब टूट जाने का गम यारा बहुत बुरा होता है

साथ निभाने की दिल में ना चाहत है ना ही हिम्मत
बात बात में हाथ पकड़ने से फिर यारा क्या होता है

वक्त मिला तो समझाऊँगा कौन फकीर कौन अमीर
नही चाहिए कुछ भी जिस को, असली  शहंशाह होता है

3 comments:

विवेक रस्तोगी said...

बहुत ही अच्छी कविता

होली की शुभकामनाएँ ।

शोभा said...

जब साथ निभाने की दिल में ना चाहत है ही हिम्मत
तो बात बात में हाथ पकड़ने से फिर यारा क्या होता है
अच्छा लिखा है। होली की शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.


ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’