Monday, February 16, 2015

हालात बदलने से हर बात बदलती है


हालात बदलने से हर बात बदलती है

इल्जाम लगाता है तू मुझ पे बदल जाने का
ऐ दोस्त मै कहता हूँ ये  बेवज़ह शिकायत है
सर्दी गरमी वर्षा बसंत अक्सर ही बदलते है
मौसम का बदल जाना कुदरत की इनायत है
मौसम का  बदलने से सब कुछ है बदल जाता
कुछ दिन भी बदलता हैं कुछ रात बदलती है
हालात बदलने से हर बात बदलती है

ना याद दिला मुझ को उन कसमों की वायदों की
बीते हुए लम्हो की गुजरी हुई रातो की
कल चांदनी थी हर सू और आज है धूप खिली
कल खुश था कि तू है मिली अब सोचूँ तू क्यों मिली
कभी  धूप बदलती है कभी  बरसात बदलती है
हालात बदलने  से हर बात बदलती है

खुदगर्ज़ किसी ने कहा तो कोई बोला कि हूँ बेवफा
हालात बदल गए है इक मै ही  नही बदला
क्या चीज़ है दुनिया में जो नही बदलती है
जब वक्त बदलता है तो कायनात बदलती है
हालत बदलने से हर बात बदलती है

इक दूजे से हर कोई इस तरह से है यूँ जुड़ा
इस और जो बदला कुछ  उस और भी बदलेगा
जब दूल्हा बदलता है तो बारात बदलती है
दुल्हन के बदलने से  सौगात बदलती है
तुझे कड़वा लगे या ना लेकिन ये तो सच है
भिखारी के बदलने से खैरात बदलती है
हालत बदलने से हर बात बदलती है



 

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