बिन बात किये ही हर एक बात खत्म हो गयी
दिन कभी कम पड़ गया कभी रात खत्म हो गयी
मै ना बोल पाया कुछ तो काश तुम ही बोलती
खामोशी के तराजू में क्यों शब्द रही तोलती
तुम भी कुछ ना कह सकी मै भी कुछ ना कह सका
जाने क्यों दिल ने कह दिया कि बात खत्म हो गयी
ना तो भीगा तन बदन, ना ही बुझी मन की जलन
दो चार बून्दो से कहाँ बुझती है सदियों की अग्न
तन भी प्यासा मन भी प्यासा दोनो प्यासे रह गये
जाने क्यों मौसम कह गया बरसात खत्म हो गयी
ना मिली नजरो से नजरें थामा ना हाथो ने हाथ
ना ठहरे संग पल दो पल ना चले दो कदम साथ
ना गिला ना शिकवा ना ही कसम ना वादा कोई
जाने क्यों वक्त ने कहा, मुलाकात खत्म हो गयी
सदियों की इन्तजार बाद आयी मिलन की रात
सपनो मे देखा था जिसे, बाहों मे था वो साक्षात
दिल मे तुफाँ, होठो पे ताले, क्या कहें क्या ना कहें
हम सोचते ही रह गये और रात खत्म हो गयी
बिन बात किये ही हर एक बात खत्म हो गयी
दिन कभी कम पड़ गया कभी रात खत्म हो गयी
मै ना बोल पाया कुछ तो काश तुम ही बोलती
खामोशी के तराजू में क्यों शब्द रही तोलती
तुम भी कुछ ना कह सकी मै भी कुछ ना कह सका
जाने क्यों दिल ने कह दिया कि बात खत्म हो गयी
ना तो भीगा तन बदन, ना ही बुझी मन की जलन
दो चार बून्दो से कहाँ बुझती है सदियों की अग्न
तन भी प्यासा मन भी प्यासा दोनो प्यासे रह गये
जाने क्यों मौसम कह गया बरसात खत्म हो गयी
ना मिली नजरो से नजरें थामा ना हाथो ने हाथ
ना ठहरे संग पल दो पल ना चले दो कदम साथ
ना गिला ना शिकवा ना ही कसम ना वादा कोई
जाने क्यों वक्त ने कहा, मुलाकात खत्म हो गयी
सदियों की इन्तजार बाद आयी मिलन की रात
सपनो मे देखा था जिसे, बाहों मे था वो साक्षात
दिल मे तुफाँ, होठो पे ताले, क्या कहें क्या ना कहें
हम सोचते ही रह गये और रात खत्म हो गयी
बिन बात किये ही हर एक बात खत्म हो गयी
2 comments:
उम्दा भाव! बधाई..
shukriyaa janaab bahut bahut shukriyaa
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