ना रूठ तेरे रूठने से दिन मेरे फिर जायेंगे
ये उजाले दिन के, अन्धेरो मे बदल जायेंगे
फिर नज़र आयेगा ना अपना कोई भी जहान में
दामन तो क्या नजरे बचा के सब निकलते जायेगे
शायद गैरों से तसल्ली रहम के नाते मिले
अपने तो ले ले चुस्कियां तब और भी रुलायेंगे
तेरे बिन मेरी जरुरत फिर न समझेगा कोई
या यूँ कहो सब जानकर अन्जान बनते जायेगे
व्यस्त होगे मस्त होगे अपने अपने घर में सब
दूर रहने के बहाने सब को मिलते जायेगे
बन के बेगैरत ही रखनी होगी सबसे दोस्ती
देख मजबूरी मेरी सब और तनते जायेगे
पेट भरना ही नही काफी है जीने के लिये
हालाकि जीने के लिये हम पेट भरते जायेगे
देखना तब अन्न तेरे बिन रंग दिखलाता है क्या
तन से हम जिन्दा रहेगे मन से मरते जायेगे
यूँ जीने को तो बिन तेरे भी जिन्दा हम रह जायेंगे
पर तुझको खो के , जिन्दगी से हम बता क्या पायेगे
ना रूठ तेरे रूठने से हम तबाह हो जायेगे
ये उजाले दिन के, अन्धेरो मे बदल जायेंगे
फिर नज़र आयेगा ना अपना कोई भी जहान में
दामन तो क्या नजरे बचा के सब निकलते जायेगे
शायद गैरों से तसल्ली रहम के नाते मिले
अपने तो ले ले चुस्कियां तब और भी रुलायेंगे
तेरे बिन मेरी जरुरत फिर न समझेगा कोई
या यूँ कहो सब जानकर अन्जान बनते जायेगे
व्यस्त होगे मस्त होगे अपने अपने घर में सब
दूर रहने के बहाने सब को मिलते जायेगे
बन के बेगैरत ही रखनी होगी सबसे दोस्ती
देख मजबूरी मेरी सब और तनते जायेगे
पेट भरना ही नही काफी है जीने के लिये
हालाकि जीने के लिये हम पेट भरते जायेगे
देखना तब अन्न तेरे बिन रंग दिखलाता है क्या
तन से हम जिन्दा रहेगे मन से मरते जायेगे
यूँ जीने को तो बिन तेरे भी जिन्दा हम रह जायेंगे
पर तुझको खो के , जिन्दगी से हम बता क्या पायेगे
ना रूठ तेरे रूठने से हम तबाह हो जायेगे
5 comments:
शायद गैरों से तसल्ली रहम के नाते मिले
अपने तो ले ले चुस्कियां तब और भी रुलायेंगे
'तल्खियां नज़र आ रही हैं आप के अंदाज़ में
बहुत अच्छा लिखा है .
आपने एकदम सही पहचाना है अन्दाज मे तल्खी है पर अल्पना जी जैसा कि मैने अपने ब्लाग के बारे मे लिखा है
"क्या लिखा किताबो मे उसकी तो तुम जानो।
मै तो वो कहता हूँ जो मैने गुजारा है"
" इसे गीत गजल कविता जो चाहो नाम दो तुम्। मैने तो दिल का दर्द कागज पे उतारा है"
प्र्शसा के लिये धन्यवाद
''पेट भरना ही नही काफी है जीने के लिये
हालाकि जीने के लिये हम पेट भरते जायेगे''
bahut pyari koshish ki hai aapne apni baat kahne ke liye. Aur kamyab bhi hua hain poori tarah. badhai!
Mahendra Awdhesh
New Delhi
''पेट भरना ही नही काफी है जीने के लिये
हालाकि जीने के लिये हम पेट भरते जायेगे''
bahut pyari koshish ki hai aapne apni baat kahne ke liye. Aur kamyab bhi rahe hain poori tarah!
badhai!!
Mahendra Awdhesh
New Delhi
mahendra awadhesh ji
गजल को पसन्द करने के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया
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